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RBI Policy के नतीजे और ये आंकड़े हैं अहम, देश की इकोनॉमी पर होगा खासा असर

दरों में किसी तरह के बदलाव से निवेश धारणा पर असर पड़ता है एवं इसका दूरगामी प्रभाव देश की जीडीपी पर देखने को मिलता है। (PC pixabay)

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 02:34 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 03:58 PM (IST)
RBI Policy के नतीजे और ये आंकड़े हैं अहम, देश की इकोनॉमी पर होगा खासा असर
RBI Policy के नतीजे और ये आंकड़े हैं अहम, देश की इकोनॉमी पर होगा खासा असर

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। दुनियाभर में आर्थिक मोर्चे पर सुस्ती की बातों के बीच अगले पांच दिन देश की इकोनॉमी के लिहाज से काफी अहम रहने वाले हैं। इन पांच दिनों में यह संकेत मिल जाएगा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के बीत जाने के बाद हमारी अर्थव्यवस्था किस ओर बढ़ रही है। इससे निश्चित तौर पर आने वाली छमाही के लिए नीति तय करने में मदद मिलेगी। इस सप्ताह छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर पर फैसला होना है साथ ही एलपीजी की कीमतों में घटबढ़ का भी ऐलान होगा। इसके अलावा वाहनों की बिक्री के आंकड़े और पीएमआई के आंकड़ों यह समझने में मदद मिलेगी कि अर्थव्यवस्था किस ओर बढ़ रही है। इन सबके बाद सबसे अहम होगा कि रिजर्व बैंक अपनी द्विमासिक समीक्षा के बाद नीतिगत दरों में क्या बदलाव करता है। आइए विस्तार से जानते हैं क्यों अहम ये पांच दिन और ये पहलू हमारी इकोनॉमी को कैसे प्रभावित करते हैं।

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  • छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर: 

    सरकार सोमवार यानी आज अक्टूबर से दिसंबर तिमाही के लिए पीपीएफ (पब्लिक प्रोविडेंट फंड), सुकन्या समृद्धि खाता और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना की ब्याज दरों की घोषणा कर सकती है। आरबीआई के हालिया दिशा-निर्देशों के बाद देखें तो इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार इन योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज की दर में कमी कर सकती है। पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि की ब्याज दर में हर तिमाही में संशोधन होता है। इससे पहले सरकार पीपीएफ और अन्य छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाली ब्याज की दर में 0.10 फीसद की कटौती कर चुकी है।

    जुलाई-सितंबर तिमाही के दौरान पीपीपएफ और नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट पर 7.9 फीसद की दर सालाना ब्याज मिल रहा है। वहीं किसान विकास पत्र पर ब्याज की दर 7.6 फीसद है। वहीं, सुकन्या समृद्धि खाते पर 8.4 फीसद और वरिष्ठ नागरिकों की बचत योजना पर 8.6 फीसद की दर से ब्याज मिल रहा है। 

    दरों में किसी तरह के बदलाव से निवेश धारणा पर असर पड़ता है एवं इसका दूरगामी प्रभाव देश की जीडीपी पर देखने को मिलता है।

  • एलपीजी की कीमतः

    सऊदी अरामकों के तेल संयंत्रों पर ड्रोन हमले के बाद दुनियाभर में तेल उत्पादन पर प्रभाव देखने को मिला है। हाल में खबरें आई थी कि अगले महीने सऊदी अरब से आने वाली एलपीजी की कुछ खेप इस हमले की वजह से नहीं आ पाएगी। ऐसे में त्योहारों से ठीक पहले एलपीजी की सप्लाई को लेकर दिक्कत पेश आ सकती है। इसलिए एलपीजी की कीमत भी इस मौसम में काफी अहम साबित होने वाली है क्योंकि लोग त्योहारों में अन्य चीजों पर बहुत अधिक खर्च करते हैं। दिल्ली में इस समय बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर 590 रुपये का है।

  • वाहनों की बिक्री के आंकड़ेः

    वाहनों की बिक्री के आंकड़े मंगलवार यानी एक अक्टूबर को आएंगे। वाहन उद्योग में पिछले कई माह कमजोर वृद्धि देखने को मिली है। सरकार ने वाहन उद्योग की सुस्ती को दूर करने के लिए हाल में कई कदम उठाएंगे। त्योहारी सीजन के शुरू से ठीक पहले कंपनियों के बिक्री के आंकड़े से यह समझने में मदद मिलेगी कि लोगों की खरीद धारणा पर क्या असर पड़ा है। साथ ही सरकार की घोषणाओं का असर भी समझा जा सकेगा। इसलिए वाहनों की बिक्री के आंकड़े अर्थव्यवस्था का अहम संकेतक साबित होने वाला है।

  • पीएमआई आंकड़ेः

    आर्थिक मोर्चे पर सरकार ने हाल में कई कदमों की घोषणा की है। अब सोमवार को अगस्त में इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में उत्पादन के आंकड़े एवं मंगलवार को मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई से जुड़े आंकड़े जारी होने के बाद इन कदमों का असर समझने में मदद मिलेगी। साथ ही भविष्य के नीति निर्धारण के लिहाज से भी ये नंबर्स काफी महत्व रखते हैं।

  • आरबीआई द्वारा नीतिगत दरों की घोषणाः

    भारतीय रिजर्व बैंक की गुरुवार को नीतिगत दरों को लेकर द्विमासिक बैठक होगी। इसके बाद आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति का ऐलान करेगा। इस साल के ट्रेंड को देखें तो उम्मीद यहीं की जा रही हैं कि केंद्रीय बैंक पांचवीं बार भी नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है। इस साल अब तक आरबीआई रेपो रेट में 1.10 फीसद की कटौती कर चुका है। केंद्रीय बैंक का लक्ष्य दरों में कटौती के जरिए खपत को बढ़ाना है। महंगाई दर भी रिजर्व बैंक के लक्ष्य के भीतर ही है, ऐसे में कोई कारण नहीं बनता कि केंद्रीय बैंक दरों मे कटौती ना करे। 


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