2035 तक 5जी सेवा का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर करीब 1 लाख करोड़ डॉलर के बराबर होगा
रिपोर्ट में कमेटी ने देश में 5जी सेवाओं की शुरुआत और विस्तार के लिए स्पेक्ट्रम की नीति, नियम, शिक्षण और मानकों के बाबत व्यापक सिफारिशें की हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वर्ष 2035 तक 5जी सेवा का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर करीब 1 लाख करोड़ डॉलर के बराबर होगा। देश में इस सेवा के वर्ष 2020 तक लॉन्च होने की उम्मीद की जा रही है। भारत में 5जी की सफलता के लिए बनाई गई 5 एक स्टीयरिंग कमेटी ने सुझाव दिया है कि कम कीमत के साथ स्पेक्ट्रम की मात्रा को बढ़ाया जाए।
स्टेनफोर्ड यूनीवर्सिटी के प्रोफेसर एजे पॉलराज के नेतृत्व में बीते साल सितंबर में एक कमेटी का गठन किया गया था, ताकि भारत में 5जी के लिए रोडमैप तैयार किया जा सके। पैनल ने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा, "5जी अवसर को सबसे पहले अपनाने से भारत सबसे पहले उसका फायदा उठा सकता है और 5जी एप्लीकेशन के इनोवेटर के रुप में उभर सकता है।"
रिपोर्ट में कमेटी ने देश में 5जी सेवाओं की शुरुआत और विस्तार के लिए स्पेक्ट्रम की नीति, नियम, शिक्षण और मानकों के बाबत व्यापक सिफारिशें की हैं। पैनल का यह भी मानना है कि भारत में लाइसेंस प्राप्त मोबाइल स्पेक्ट्रम की मात्रा अमेरिका और इंग्लैंड जैसे देशों के मुकाबले बहुत कम है जबकि प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद के सापेक्ष स्पेक्ट्रम की लागत, अधिकांश देशों की तुलना में काफी अधिक है। पैनल ने कहा, "ये दोनों कारक आधारभूत संरचना लागत को बढ़ाते हैं। यह अहम है कि भारत इन अनियमितताओं को दूर करे।"
समिति के अध्यक्ष प्रो. एजे पॉलराज ने कहा कि 5जी से जबरदस्त अवसर है। यह समाज के लिए परिवर्तनकारी साबित होगा। इससे न केवल देश आगे बढ़ेगा, बल्कि समाज के कमजोर वर्गो की प्रगति भी सुनिश्चित होगी। गौरतलब है कि भारत में 5जी मोबाइल तकनीक का रोडमैप तैयार करने के लिए गठित स्टियरिंग कमेटी ने अगली पीढ़ी की वायरलेस सेवाओं को जल्द रफ्तार देने के लिए दिसंबर तक 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी शुरू करने का सुझाव दिया है।