जीएसटीएन के बाद अब ई-वे बिल में बड़ी तकनीकी समस्याएं आने की संभावनाएं
जीएसटीएन पोर्टल की असफलता के बाद अब ई-वे बिल को लेकर भी तकनीकी अड़चनें नजर आने लगी हैं
नई दिल्ली (जेएनएन)। छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) के लिए ई-वे बिल के कार्यान्वयन को कुछ समय के लिए टाला जाना हाल फिलहाल के लिए एक राहतभरी बात है। जीएसटी काउंसिल ने 6 अक्टूबर को तय किया था कि ई-वे बिल सिस्टम को क्रमबद्ध तरीके से जनवरी 2018 से लागू किया जाएगा और इसे राष्ट्रीय स्तर पर अप्रैल 2018 में लागू कर दिया जाएगा।
आखिर क्या है ई-वे बिल: एक बार इस नियम के लागू हो जाने के बाद अगर किसी राज्य के भीतर या राज्य के बाहक किसी सामान की आवाजाही होती है जिसकी कीमत 50,000 रुपए से ज्यादा होगी तो माल के ऑनलाइन पंजीकरण के जरिए ई-वे बिल की जरूरत होगी।
ई-वे बिल जनरेट करने के लिए क्या करना होगा: ई-वे बिल बनाने के लिए, आपूर्तिकर्ता और ट्रांसपोर्टर्स को जीएसटीएन (माल और सेवा कर नेटवर्क) पोर्टल पर माल (वस्तुओं) का विवरण अपलोड करना होगा। एक बार ई-वे बिल जनरेट हो जाने के बाद एक यूनीक ई-वे बिल नंबर (ईबीएन) आपूर्तिकर्ता, प्राप्तकर्ता और ट्रांसपोर्टर्स के लिए उपलब्ध होगा
क्या है इसका उद्देश्य: इस कानून को लागू करने का उद्देश्य राज्य-वार दस्तावेजों को समाप्त करना,देश भर में चेक-पोस्ट की संख्या को कम करना और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए वस्तुओं के तेजी से पारगमन को सुनिश्चित करना है।
ई-वे बिल को लेकर चिंताएं: भारी संख्या में जीएसटी रिटर्न को संभाल पाने में जीएसटी पोर्टल की विफलता ने ई-वे बिल की सफलता को लेकर एक संदेह पैदा कर दिया है क्योंकि ई-वे बिल भी पूरी तरह से कंप्यूटर के जरिए आपरेट होगा। कुछ कर विशेषज्ञ विशेषकर एसएमई सेक्टर के लिए आईटीफेल्योर की आशंका जाहिर कर रहे हैं।
ई-वे बिल को लेकर दूसरी सबसे बड़ी समस्या बिल के अमाउंट को लेकर है। जैसे कि यूपी में ई-वे बिल के लिए माल की राशि को 5,000 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए किया जा चुका है। यह आंकड़ा हर राज्य में अलग अलग है जो कि सबसे बड़ी समस्या है
वहीं साइट के मेंटेनेंस से जुड़ी समस्या भी ई-वे बिल की सफलता के आड़े आ सकती है। माल की आपूर्ति करने वाले ट्रक से गंतव्य की ओर निकलने से पहले कुछ समय इनवॉइस तैयार करनी होगी ऐसे में अगर कारोबारी कंप्यूटर से अनिभिज्ञ है तो उसके लिए बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी। ऐसे में काउंसिल को फिजिकल इनवॉइस के बारे में भी विचार करना चाहिए।