Move to Jagran APP

ई-वे बिल का ट्रायल आज से हुआ शुरू, जानिए इसकी पूरी ABCD

जीएसटी परिषद ने 16 दिसंबर को अपनी बैठक में पूरे देश में 1 जून 2018 तक ई-वे बिल को देशभर में लागू किए जाने का फैसला किया था

By Praveen DwivediEdited By: Published: Tue, 16 Jan 2018 06:26 PM (IST)Updated: Tue, 16 Jan 2018 06:26 PM (IST)
ई-वे बिल का ट्रायल आज से हुआ शुरू, जानिए इसकी पूरी ABCD
ई-वे बिल का ट्रायल आज से हुआ शुरू, जानिए इसकी पूरी ABCD

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अंतर्गत ट्रांसपोर्टर्स के लिए आज से ही ई-वे बिल का ट्रायल शुरू कर दिया गया है। आपको बता दें कि इस साल से ही अपने सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने ले जाने के लिए ई-वे बिल की आवश्यकता होगी। इस प्रावधान को 1 फरवरी 2018 से लागू किया जाना है और इसका आईटी नेटवर्क अभी तैयार किया जा रहा है।

loksabha election banner

जीएसटी परिषद ने 16 दिसंबर को अपनी बैठक में पूरे देश में 1 जून 2018 तक ई-वे बिल को देशभर में लागू किए जाने का फैसला किया था। आपका कन्फ्यूजन मिटाने के लिए बता दें कि देश के तमाम राज्यों के भीतर वस्तुओं के आवागमन के लिए ई-वे बिल 1 फरवरी 2018 को लागू कर दिया जाएगा वहीं राज्यों के अंतर्गत यानी राज्य के ही भीतर ई-वे बिल 1 जून 2018 से लागू कर दिया जाना है। यानी अगर राज्य के भीतर भी कोई ट्रांसपोर्टर एक निश्चित दूरी से ज्यादा तक के लिए अपने सामान को इधर से उधर भेजता है तो उसे भी ई-वे बिल की जरूरत होगी।

क्या है ई-वे बिल: अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को ई-वे बिल जनरेट करना होगा। अहम बात यह है कि सप्लायर के लिए यह बिल उन वस्तुओं के पारगमन (ट्रांजिट) के लिए भी बनाना जरूरी होगा जो जीएसटी के दायरे में नहीं आती हैं।

क्या होता है ई-वे बिल में: इस बिल में सप्लायर, ट्रांसपोर्ट और ग्राही (Recipients) की डिटेल दी जाती है। अगर जिस गुड्स का मूवमेंट एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर एक ही राज्य के भीतर हो रहा है और उसकी कीमत 50,000 रुपए से ज्यादा है तो सप्लायर (आपूर्तिकर्ता) को इसकी जानकरी जीएसटीएन पोर्टल में दर्ज करानी होगी।

कितनी अवधि के लिए वैलिड होता है यह बिल: यह बिल बनने के बाद कितने दिनों के लिए वैलिड होता है, यह भी निर्धारित है। अगर किसी गुड्स (वस्तु) का मूवमेंट 100 किलोमीटर तक होता है तो यह बिल सिर्फ एक दिन के लिए वैलिड (वैध) होता है। अगर इसका मूवमेंट 100 से 300 किलोमीटर के बीच होता है तो बिल 3 दिन, 300 से 500 किलोमीटर के लिए 5 दिन, 500 से 1000 किलोमीटर के लिए 10 दिन और 1000 से ज्यादा किलोमीटर के मूवमेंट पर 15 दिन के लिए मान्य होगा।

विक्रेता (seller) को देनी होगी जानकारी: इस बिल के अंतर्गत विक्रेता (वस्तु के बेचने वाला) को जानकारी देनी होगी की वो किस वस्तु को बेच रहा है, वहीं खरीदने वाले व्यक्ति को जीएसटीन पोर्टल पर जानकारी देनी होगी कि उसने या तो गुड्स को खरीद लिया है या फिर उसे रिजेक्ट कर दिया है। हालांकि अगर आप कोई जवाब नहीं देते हैं तो यह मान लिया जाएगा कि आपने वस्तु को स्वीकार कर लिया है।

एक्सीडेंट (दुर्घटना) होने की सूरत में क्या होगा: मान लीजिए जिस व्हीकल से सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुंचाया जा रहा है वह अगर किसी दुर्घटना का शिकार होता है तो इस सूरत में आपको सामान दूसरे व्हीकल में ट्रांसफर करने के बाद एक नया बिल जनरेट करना होगा।

कैसे काम करेगा ई-वे बिल: जब आप (विक्रेता) ई-वे बिल को जीएसटीएन पोर्टल पर अपलोड करेंगे तो एक यूनीक ई-वे नंबर (ईबीएन) जनरेट होगा। यह सप्लायर,ट्रांसपोर्ट और ग्राही (Recipients) तीनों के लिए होगा।

एक ट्रक में कई कंपनियों का सामान: मान लीजिए अगर किसी एक ट्रक में कई कंपनियों का सामान जा रहा है तो ट्रांसपोर्टर को एक कंसालिडेटेड बिल बनाना होगा। इस बिल के अंदर सारी कंपनियों के सामान की अलग–अलग डिटेल होनी चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.