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कोरोना महामारी के दौरान बैंकों में राशि जमा कराने और निकालने का ट्रेंड बदला, आरबीआइ की रिपोर्ट में आया सामने

आरबीआइ ने वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तीन तिमाहियों का रिकार्ड जारी किया है जिसमें सामने आया है कि कोरोना का प्रकोप बढ़ने पर बैंकों में जमा राशि बढ़ी थी और हालात नियंत्रित होते ही निकासी शुरू हो गई।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 07:02 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 07:11 AM (IST)
कोरोना महामारी के दौरान बैंकों में राशि जमा कराने और निकालने का ट्रेंड बदला, आरबीआइ की रिपोर्ट में आया सामने
RBI report ( P C : Pixabay )

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना महामारी के दौरान बैंकों में राशि जमा कराने और निकालने का ट्रेंड भी बदला है। आरबीआइ ने वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तीन तिमाहियों का रिकार्ड जारी किया है, जिसमें सामने आया है कि कोरोना का प्रकोप बढ़ने पर बैंकों में जमा राशि बढ़ी थी और हालात नियंत्रित होते ही निकासी शुरू हो गई। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले जमा राशि का अनुपात अक्टूबर-दिसंबर, 2020 तिमाही में तीन फीसद पर आ गया था, जो जुलाई-सितंबर तिमाही में 7.7 फीसद था।

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इस दौरान लोगों ने अपने बैंक खातों से 1,99,678.1 करोड़ रुपये की राशि निकाली थी। पिछले हफ्ते आरबीआइ ने कोरोना की दूसरी लहर से दो लाख करोड़ रुपये के नुकसान की बात भी कही थी।

आरबीआइ की ओर से जारी तीन तिमाहियों के आंकड़ों की पड़ताल से सामने आया है कि कोरोना महामारी की पहली लहर जब उफान पर थी, तब लोगों ने खातों में खूब पैसा जमा कराए। अप्रैल-जून, 2020 में बैंकों में जमा राशि 1,25,848.6 करोड़ थी, जो जुलाई-सितंबर में 3,62,343.5 करोड़ रुपये हो गई थी। इसके बाद कोरोना की पहली लहर देशभर में थमने लगी, तो लोगों ने खातों से पैसे निकाल लिए।

आरबीआइ ने इसके कारण को लेकर कोई विवेचना तो नहीं की है, लेकिन माना जा रहा है कि शुरुआत में अनिश्चितता देखते हुए लोगों ने बैंकों में पैसे जमा कराए और हालात सामान्य होने पर निकासी करने लगे। निकासी के पीछे एक वजह यह भी हो सकती है कि लॉकडाउन के चलते लंबे समय तक फैक्ट्रियों आदि के बंद रहने से लोगों पर आर्थिक दबाव था, जिससे उन्हें जमा राशि निकालनी पड़ी।

बैंक जमा राशि के साथ ही लोगों के घर में रखी गई नकदी के उतार चढ़ाव में भी कुछ दिलचस्प संकेत हैं। कोरोना की शुरुआत यानी अप्रैल-जून, 2020 में जीडीपी की तुलना में घरों में रखी गई नकदी का अनुपात 5.3 फीसद (2.07 लाख करोड़ रुपये) था, जो जुलाई-सितंबर में घटकर 0.4 फीसद (17,225.3 करोड़ रुपये) हो गया।

अक्टूबर-दिसंबर में फिर बढ़कर 1.7 फीसद (91,456 करोड़ रुपये) हो गया। इसका भी यह मतलब लगाया जा रहा है कि कोरोना के प्रकोप के बढ़ने के साथ ही घरों में रखी हुई नकदी दूसरी तिमाही तक काफी खर्च हो गई। रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि देश की जीडीपी के मुकाबले नेट फाइनेंशियल एसेट्स का अनुपात जून, 2020 को समाप्त तिमाही में 21 फीसद था, जो घटकर दिसंबर में समाप्त तिमाही में 8.2 फीसद रह गया।


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