Coronavirus के चलते कई उत्पादों के बढ़ने लगे दाम, घरेलू सप्लायर्स उठा रहे माहौल का फायदा
इंटीग्रेटेड एसोसिएशन ऑफ माइक्त्रो स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज के चेयरमैन राजीव चावला कहते हैं चीन विश्व की फैक्ट्री है और पूरी दुनिया में उसका असर आएगा।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। चीन में फैले कोरोना वायरस का कारोबारी असर दुनिया के साथ भारत पर भी साफ तौर पर दिखने लगा है। कई कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी होने लगी हैं तो कई के दाम बढ़ने की आशंका है। मैन्यूफैक्चरर्स का कहना है कि कच्चे माल के घरेलू सप्लायर्स माहौल का फायदा भी उठा रहे है। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के कार्यकारी निदेशक सुरंजन गुप्ता ने बताया कि इंजीनियरिंग गुड्स के उत्पादन से जुड़े कुछ कच्चे माल के दाम बढ़े हैं।
उन्होंने बताया कि कुछ विशेष प्रकार के स्टील के दाम में 10 फीसद तक का इजाफा हुआ है। इंजीनियरिंग गुड्स निर्यातक एवं फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट प्रमोशन आर्गेनाइजेशंस के पूर्व अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने बताया कि नायलोन जैसे कच्चे माल के दाम बढ़ गए हैं। केमिकल्स के निर्माताओं ने बताया कि कई केमिकल्स से जुड़े कच्चे माल के दाम में 5-10 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है।
सीएलएसए की रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्ट्रॉनिक एवं व्हाइट गुड्स के लिए भारत चीन पर खासा निर्भर करता है। टेलीविजन पैनल, एसी व फ्रिज के कंप्रेसर एवं एलाय चिप्स के दाम 5-10 फीसद तक बढ़ चुके हैं और सप्लाई चेन में सुधार नहीं होने पर स्थिति खराब हो सकती है। भारत के इलेक्टि्रक गुड्स बाजार की अग्रणी कंपनियां क्राम्पटन, वोल्टास, हैवल्स अपने कच्चे माल के लिए चीन पर निर्भर करती है।
चीन से होने वाले आयात में इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स की हिस्सेदारी 8 फीसदी है। उद्यमियों का कहना है कि अभी कच्चे माल का स्टॉक है, स्टॉक की समीक्षा के बाद ही स्थिति साफ होगी, लेकिन मांग के मुकाबले सप्लाई कम रहने पर कीमत हर हाल में बढ़ेगी।
कुछ कारोबारी अभी कोरोना के नकारात्मक माहौल का भी फायदा उठा रहे हैं। इंटीग्रेटेड एसोसिएशन ऑफ माइक्त्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज के चेयरमैन राजीव चावला कहते हैं, चीन विश्व की फैक्ट्री है और पूरी दुनिया में उसका असर आएगा।
उन्होंने बताया कि छोटे उद्यमी सीधे तौर पर चीन से माल नहीं मंगाते हैं। वे कच्चे माल के लिए घरेलू सप्लायर्स पर निर्भर करते हैं। उन्होंने बताया कि मार्च में स्टॉक की समीक्षा होने के बाद कच्चे माल के दाम बढ़ सकते हैं।
उन्होंने एक उदाहरण देकर बताया कि उद्यमियों के पास चीन का विकल्प भी नहीं है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि पैरासीटामोल दवा बनाने के लिए चीन से कच्चे माल की सप्लाई होती है। चीन से सप्लाई बंद होने पर जर्मनी से पैरासीटामोल के लिए कच्चे माल को मंगवाया जा सकता है जो कि चीनी कच्चे माल के मुकाबले कई गुना महंगा है। इससे दवा को बाजार में बेचना व्यावहारिक नहीं रह जाएगा।