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नोटबंदी के बाद निष्क्रिय खातों में अचानक आई नकदी पर होगा सवाल, वित्त मंत्रालय को बैंक सौपेंगे जानकारी

देश के कई हिस्सों में बेकार पड़े बैंक खातों के जरिये काला धन खपाने की सूचना मिलने के बाद हर बैंक को अब इसका ब्योरा सौंपने को कहा गया है

By Surbhi JainEdited By: Published: Tue, 20 Dec 2016 10:17 AM (IST)Updated: Tue, 20 Dec 2016 01:00 PM (IST)
नोटबंदी के बाद निष्क्रिय खातों में अचानक आई नकदी पर होगा सवाल, वित्त मंत्रालय को बैंक सौपेंगे जानकारी

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। नोटबंदी के बाद जिस तरह से लोगों ने काले धन को खपाना शुरू किया है उसे देखते हुए बैंकों के स्तर पर भी चौकसी जबरदस्त तरीके से बढ़ा दी गई है। देश के कई हिस्सों में बेकार पड़े बैंक खातों के जरिये काला धन खपाने की सूचना मिलने के बाद हर बैंक को अब इसका ब्योरा सौंपने को कहा गया है। बैंकों ने 08 नवंबर, 2016 को नोटबंदी लागू होने के उन सभी बैंक खातों का ब्योरा वित्त मंत्रालय को सौंपने को कहा गया है, जिनमें कई महीनों या वर्षो बाद संचालित किया गया है। वित्त मंत्रालय का मानना है कि नोटबंदी के बाद सिस्टम में जिस तरह से काले धन को खपाने की सूचना मिल रही है, उसे देखते हुए बंद खातों की जांच पड़ताल करना जरूरी हो गया है।

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सूत्रों के मुताबिक पिछले एक पखवाड़े के भीतर कई जांच एजेंसियों ने बेंगलुरु, हैदराबाद, नोएडा व दिल्ली स्थित कम से छह बैंक शाखाओं में जो जांच की है, उसमें यह बात सामने आई है कि वर्षो या महीनों से संचालित नहीं हो रहे बैंक खातों (डॉरमेंट अकाउंट) का इस्तेमाल किया गया है। यही नहीं, बैंकों को अन्य ग्राहकों की तरफ से लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही हैं कि उनके बैंक खाते में राशि डाल दी गई है। कई ग्राहकों को उनके बैंक खाते में यादा राशि डालने की सूचना तो तब मिली जब आयकर विभाग ने उन्हें नोटिस भेजा। इसके बाद ही बैंकों को यह निर्देश दिया गया है कि वे अपने यहां निष्क्रिय बैंक खातों व उसमें जमा राशि का ब्योरा तैयार करे। एक्सिस बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि उनकी हर ब्रांच से इस बारे में जानकारी मांगी गई है। एक्सिस बैंक की कई शाखाओं में नोटबंदी के बाद काला धन को सफेद करने के मामले उजागर हुए हैं।

भारत के कुल खातों में से 43 फीसदी में नहीं होता कोई वित्तीय लेनदेन: विश्व बैंक
विश्व बैंक ने वर्ष 2015 में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत में जितने बैंक खाते हैं, उनमें से 43 फीसद में कोई वित्तीय लेनदेन नहीं होता। इन्हें ही निष्क्रिय बैंक खाता माना जा सकता है। आरबीआइ का नियम कहता है कि अगर किसी बैंक अकाउंट में दो वर्षो तक कोई लेनदेन नहीं हो तो उसे निष्क्रिय यानी डॉरमेंट खाते की श्रेणी में रखा जाता है।


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