IT प्रोफेशनल्स का 'ड्रीम अमेरिका' खतरे में, ट्रंप की नई नीति व एक सीनेटर के प्रस्ताव ने बढ़ायी चिंता
भारत की दिग्गज आईटी कंपनियों जैसे इंफोसिस विप्रो टीसीएस आदि के विदेशों से होने वाले राजस्व में बड़ी हिस्सेदारी अमेरिकी बाजार की होती है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी मंशा साफ कर दी है कि वह दूसरे देशों से रोजगार के लिए आने वाले पेशेवरों व कामगारों पर 60 दिनों के लिए अस्थायी रोक लगाने जा रहे हैं। संभवत: बुधवार को वह इस बारे में शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर भी कर देंगे जो बाहरी कामगारों के प्रवेश को रोकने के साथ ही प्रतिष्ठित एच1बी वीजा प्राप्त पेशेवरों के लिए ग्रीन कार्ड लेने के रास्ते भी फिलहाल बंद कर देगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले से सबसे ज्यादा असर भारतीय पेशेवरों पर पड़ने की उम्मीद है। अमेरिकी सीनेटर डिक डर्बिन की तरफ से ग्रीन कार्ड देने के मौजूदा नियमों में भारी बदलाव के लिए प्रस्तावित एस 386 संशोधन को लेकर भारतीय समुदाय पहले से ही डरा हुआ है और अब राष्ट्रपति ट्रंप के इस कदम से उनका अमेरिकी ड्रीम बिखरता हुआ दिख रहा है।
बुधवार को सैकड़ों भारतीयों ने तमाम सोशल साइट्स पर अपने इस दुख को जाहिर भी किया है। उधर, विदेश मंत्रालय पूरे हालात पर नजर रखे हुए है। बताया गया है कि एक बार ट्रंप प्रशासन की तरफ से इस बारे में विस्तृत दिशानिर्देश आने के बाद भारत की तरफ से प्रतिक्रिया जताई जाएगी। वैसे हाल के वर्षों में दोनो देशों के बीच होने वाली हर स्तर की बातचीत में अमेरिका में वर्किंग वीजा पर जाने वाले प्रोफेशनल्स का मुद्दा हमेशा उठता रहा है। घरेलू इंफॉरमेशन टेक्नोलोजी कंपनियां भी ट्रंप प्रशासन के नए नियम के ऐलान होने का इंतजार कर रही हैं।
भारत की दिग्गज आईटी कंपनियों जैसे इंफोसिस, विप्रो, टीसीएस आदि के विदेशों से होने वाले राजस्व में बड़ी हिस्सेदारी अमेरिकी बाजार की होती है। ट्रंप प्रशासन का कदम इन सभी के कारोबार को चौपट कर सकती है। अभी तकरीबन 100 भारतीय कंपनियां अमेरिका में काम करती हैं। इनके लिए अमेरिकी सरकार की तरफ से मिलने वाले प्रतिष्ठित एच1बी वीजा का काफी महत्व है। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि भारत एक बार फिर आधिकारिक स्तर पर इस मुद्दे को उठाएगा।
भारतीय पेशेवरों के सामने सिर्फ ट्रंप का यह नया नियम ही रोड़ा नहीं है बल्कि सीनेटर डर्बिन की तरफ से सीनेट में पेश एस386 संशोधन की तलवार भी लटक रही है। इससे लंब समय के लिए काम करने का वीजा लेकर अमेरिका जाने वालों के लिए वहां की नागरिकता लेना और मुश्किल कर देगा। माना जा रहा है कि अगले कुछ महीनों बाद ही वहां होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए विदशी कामगारों को वीजा देने के मामले को तूल दिया जाता रहेगा। वर्ष 2016 के चुनाव में भी राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे खूब उछाला था। ट्रंप का तर्क है कि चूंकि कोविड-19 की वजह से बड़ी संख्या में लोगों का रोजगार जा रहा है इसलिए अमेरिकी नागरिकों को ज्यादा रोजगार देने के लिए य़ह कदम उठाना जरुरी है।