Move to Jagran APP

राजनीति के चक्कर में बरबाद नहीं करें ग्लोबल ट्रेंड - आइएमएफ प्रमुख

राष्ट्रवादी राजनीति और संरक्षणवाद के चक्कर में वैश्विक व्यापार को बरबाद करना सही नहीं है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने यह बात कही।

By Pramod Kumar Edited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 09:25 AM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 11:27 AM (IST)
राजनीति के चक्कर में बरबाद नहीं करें ग्लोबल ट्रेंड - आइएमएफ प्रमुख
राजनीति के चक्कर में बरबाद नहीं करें ग्लोबल ट्रेंड - आइएमएफ प्रमुख

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। राष्ट्रवादी राजनीति और संरक्षणवाद के चक्कर में वैश्विक व्यापार को बरबाद करना सही नहीं है। इस समय सबको मिलकर कारोबारी विवाद निपटाने की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड ने यह बात कही। वह इंडोनेशिया की राजधानी बाली में आइएमएफ और विश्व बैंक के सम्मेलन में बोल रही थीं।

loksabha election banner

बाली में इस समय आइएमएफ के 189 सदस्य देशों में से कई के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंकों के प्रमुख जुटे हैं। इस सम्मेलन में संरक्षणवाद अहम मुद्दा बनकर सामने आया है। विशेषरूप से चीन और अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड वार पर ज्यादातर विशेषज्ञों ने चिंता जताई है।

लेगार्ड ने कहा कि इस समय मौजूदा कारोबारी माहौल को सुधारने की जरूरत है, इसे बरबाद करने की नहीं। अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको के बीच हाल में हुए नाफ्टा समझौते का हवाला देते हुए उन्होंने भरोसा जताया कि देशों के बीच चल रहे विवाद बातचीत से सुलझाए जा सकते हैं।

ट्रेड वार पर लेगार्ड की चिंता को वैश्विक आर्थिक संगठन ओईसीडी के महासचिव एंजेल गुरिया का भी समर्थन मिला। उन्होंने कहा कि ट्रेड वार ने 2017 से ही वैश्विक कारोबार पर असर दिखाना शुरू कर दिया था।

आइएमएफ ने कारोबारी मोर्चे पर व्याप्त तनाव, बढ़ते संरक्षणवाद और कर्ज के स्तर को देखते हुए वैश्विक विकास दर का अनुमान भी कम किया है। आइएमएफ के अनुमान के मुताबिक, 2018 और 2019 में वैश्विक आर्थिक विकास दर 3.7 फीसद रह सकती है। यह पहले के अनुमान से 0.2 फीसद कम है।1आइएमएफ ने कारोबारी मोर्चे पर तनाव और बढ़ती ब्याज दरों के कारण अमेरिका में मंदी का खतरा भी जताया है। अनुमान के मुताबिक, इससे अमेरिका को पांच लाख करोड़ डॉलर (करीब 370 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

कर्ज के मामले में भारत पीछे

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और कर्ज के अनुपात के मामले में भारत ज्यादातर बड़ी और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से पीछे है। आइएमएफ में वित्तीय मामलों के विभाग के निदेशक विटोर गैस्पर ने यह बात कही। आइएमएफ के आंकड़ों के मुताबिक, 2017 में भारत में निजी क्षेत्र का कर्ज जीडीपी के 54.5 फीसद और सरकारी कर्ज 70.4 फीसद के बराबर रहा। इस तरह भारत का कुल कर्ज जीडीपी के करीब 125 फीसद के बराबर था। इसी अवधि में चीन का कुल कर्ज जीडीपी के 247 फीसद के बराबर था। गैस्पर ने कहा, ‘कर्ज व जीडीपी के अनुपात तथा प्रति व्यक्ति जीडीपी में सीधा संबंध होता है। पिछले 10 साल में भारत समेत विभिन्न उभरती अर्थव्यवस्थाओं में निजी कर्ज बढ़ा है।’ 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.