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सीओएआइ और ट्राई के बीच का विवाद पहुंच सकता है अदालत

सीओएआइ ने रिलायंस जियो का नाम लिए बिना कहा कि नए नियम एक कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने और प्रतिस्पर्धा को खत्म करने वाले हैं

By Surbhi JainEdited By: Published: Thu, 22 Feb 2018 10:53 AM (IST)Updated: Thu, 22 Feb 2018 10:53 AM (IST)
सीओएआइ और ट्राई के बीच का विवाद पहुंच सकता है अदालत
सीओएआइ और ट्राई के बीच का विवाद पहुंच सकता है अदालत

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सेल्युलर ऑपरेटरों के संगठन सीओएआइ और दूरसंचार नियामक ट्राई का विवाद अदालत के दरवाजे पर पहुंचने वाला है। सीओएआइ का कहना है कि ट्राई ने असमानता के हालात बना दिए हैं। पुरानी कंपनियां पीड़ित अनुभव कर रही हैं। टेलीकॉम टैरिफ को लेकर ट्राई के हालिया फैसले पर संगठन अदालत का दरवाजा खटखटाने पर विचार कर रहा है। वहीं, ट्राई ने आरोपों का खंडन किया है।

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सीओएआइ के महानिदेशक राजन एस. मैथ्यू ने कहा, ‘हम अपने सभी सदस्यों से बात करेंगे और अगले कदम को लेकर आम सहमति बनाएंगे। इस पर सार्वजनिक बहस की जरूरत है और हमने इस दिशा में कदम बढ़ा दिया है। दूरसंचार विभाग, प्रधानमंत्री कार्यालय और अदालतों को इस मामले में संज्ञान लेकर यह तय करना चाहिए कि क्या ट्राई के कदम ईमानदारी से उठाए गए हैं।’

पिछले हफ्ते नियामक ने टेलीकम्युनिकेशन टैरिफ ऑर्डर (टीटीओ) जारी किया था। इसमें कहा गया था कि टेलीकॉम कंपनियों को उपभोक्ताओं तक भेदभाव रहित टैरिफ पहुंचाना चाहिए। अगर दरें सीमा से अधिक पाई गईं, तो हर सर्किल में 50 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। सीओएआइ ने रिलायंस जियो का नाम लिए बिना कहा कि नए नियम एक कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने और प्रतिस्पर्धा को खत्म करने वाले हैं। दूसरी ओर, ट्राई ने अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया है। ट्राई के सचिव एस. के. गुप्ता ने कहा, ‘नियामक पारदर्शी तरीके से काम करता है। हर बात पर आरोप लगाना सीओएआइ की आदत बन गई है। उनके आरोप बेबुनियाद हैं।’ उन्होंने कहा कि ट्राई विस्तृत सुझाव पत्रों और खुली चर्चा के बाद ही आदेश या नियमन जारी करता है।


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