Move to Jagran APP

खुदरा कारोबारियों के ऊपर ई-कॉमर्स का खतरा

विदेशी कंपनियों के आने की संभावना से पहले से ही डरे देश के खुदरा कारोबारियों के समक्ष एक नई चुनौती उत्पन्न हो गई है। यह नई मुसीबत ई-कॉमर्स यानी इंटरनेट के जरिये सामान बेचने वाली कंपनियों के रूप में है। फ्लिपकार्ट, स्नैपडील जैसी देसी और विदेशी कंपनी अमेजन के बीच आक्रामक प्रतिस्पद्र्धा का सीधा असर देश के

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Tue, 07 Oct 2014 08:35 AM (IST)Updated: Tue, 07 Oct 2014 09:57 AM (IST)
खुदरा कारोबारियों के ऊपर ई-कॉमर्स का खतरा

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। विदेशी कंपनियों के आने की संभावना से पहले से ही डरे देश के खुदरा कारोबारियों के समक्ष एक नई चुनौती उत्पन्न हो गई है। यह नई मुसीबत ई-कॉमर्स यानी इंटरनेट के जरिये सामान बेचने वाली कंपनियों के रूप में है। फ्लिपकार्ट, स्नैपडील जैसी देसी और विदेशी कंपनी अमेजन के बीच आक्रामक प्रतिस्पद्र्धा का सीधा असर देश के खुदरा कारोबारियों पर होने के खतरा मंडरा रहा है। ग्राहकों के जबरदस्त रिस्पांस को देखते हुए ई-कॉमर्स कारोबार अगले छह वर्षो में सात से आठ गुना हो जाने का कयास लगाया जा रहा है।

loksabha election banner

इस ऑनलाइन कारोबार के बढ़ते प्रचार-प्रसार पर अब सरकार की भी नजर है। ई-कॉमर्स कारोबार की निगरानी के लिए सरकार एक नई नीति बना रही है। सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार सामान्य तौर पर ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने के पक्षधर है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ई-कॉमर्स कंपनियों के बढ़ते कारोबार में निवेश संबंधी नीतियों और ग्राहकों के हितों को सुरक्षित करने के लिए एक नीति तैयार कर रहा है। पिछले हफ्ते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान अमेजन के प्रमुख जेफ बेजोस ने मुलाकात की थी। बेजोस पहले ही भारत में दो अरब डॉलर के नए निवेश का एलान कर चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि भारत उनकी कंपनी के लिए एक बेहद अहम बाजार है, जहां आगे बढ़ने के लिए वह निवेश को आड़े नहीं आने देंगे।

मध्यवर्ग में ई-कॉमर्स के बढ़ते जोर से देश के फुटकर दुकानदार भी परेशान है। देश में रिटेल में एफडीआइ के खिलाफ अभियान चलाने वाली संस्था कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआइटी) ने इस बारे में वाणिज्य मंत्री को पत्र भी लिखा है। सीएआइटी ने इस बात पर चिंता जताई है कि ई-कॉमर्स कंपनियां बाजार से कम कीमत पर उत्पाद बेच रही हैं, जिससे खुदरा कारोबारियों पर असर पड़ रहा है। देश में जूते, परिधान, ज्वैलरी, घरेलू उपकरण, खेल उपकरण, ट्रैवल लगेज, खिलौने और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण के दुकानों की बिक्री लगातार घट रही है। सीएआइटी ने ई-कॉमर्स कारोबार पर नजर रखने के लिए एक नियामक एजेंसी के गठन की मांग की है।

ई-कॉमर्स क्षेत्र में उतरी रेमंड

गारमेंट कंपनी रेमंड तेजी से बढ़ रहे ई-कॉमर्स सेक्टर में उतर गई है। रेमंडनेक्स्ट डॉट कॉम के जरिये फर्म अपने सभी उत्पादों, ब्रांडों और सेवाओं के लिए ग्राहकों को एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगी।

रेमंड की ई-कॉमर्स इकाई के प्रमुख विजय बसरूर ने कहा कि इस उद्योग के 2020 तक 32 अरब डॉलर के स्तर तक पहुंच जाने के आसार हैं। खुदरा बिक्री में ई-कॉमर्स सेक्टर की हिस्सेदारी फिलहाल बहुत कम है। तेजी से बढ़ते इंटरनेट यूजरों के बीच इसकी लोकप्रियता बढ़ी है।

पढ़े: ई-कॉमर्स सेक्टर में डेढ़ लाख नौकरियां

जॉब पोर्टल शुरू करेगी सरकार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.