Move to Jagran APP

पहले कभी नहीं रहा पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इतना कम अंतर

करीब एक दशक पहले पेट्रोल व डीजल की कीमतों में 20 रुपये का अंतर था

By Surbhi JainEdited By: Published: Sat, 28 Apr 2018 10:52 AM (IST)Updated: Sat, 28 Apr 2018 11:05 AM (IST)
पहले कभी नहीं रहा पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इतना कम अंतर
पहले कभी नहीं रहा पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इतना कम अंतर

नई दिल्ली (जयप्रकाश रंजन)। शुक्रवार को नई दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 74.63 रुपये प्रति लीटर थी जबकि डीजल 65.93 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर था। दोनों के बीच का अंतर घट कर 8.70 रुपये प्रति लीटर रह गया है। ठीक दो वर्ष पहले यह अंतर 13.92 रुपये प्रति लीटर का था। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इतना कम अंतर पहले कभी नहीं रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर कार बाजार पर दिखाई दे रहा है। देश में डीजल चालित कारों की बिक्री तेजी से घट रही है। डीजल इंजन वाली कारों की हिस्सेदारी इन दो वर्षो में 44 फीसद से घट कर 35 फीसद रह गई है।

prime article banner

करीब एक दशक पहले पेट्रोल व डीजल की कीमतों में 20 रुपये का अंतर था। यह अंतर इसलिए था क्योंकि सरकार डीजल पर ज्यादा सब्सिडी देती थी। लेकिन अक्टूबर 2014 में सरकार ने डीजल को सरकारी नियंत्रण से बाहर कर कंपनियों को लागत के आधार पर इसकी बाजार कीमत तय करने का अधिकार दे दिया। इससे पहले पेट्रोल को यूपीए सरकार जून 2010 में नियंत्रण-मुक्त कर चुकी थी। अब तेल कंपनियां पेट्रोल व डीजल की कीमत बाजार व लागत के अनुसार रोजाना तय करती हैं। इसलिए दोनों ईंधनों में कीमत का अंतर तेजी से घट रहा है।

इसका नतीजा यह हुआ है कि देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी की कारों की बिक्री में डीजल कारों की हिस्सेदारी 35 फीसद से घट कर 29 फीसद रह गई है। मारुति सुजुकी के अध्यक्ष आर. सी. भार्गव का कहना है कि ‘बीएस-6 ईंधन की बिक्री शुरु होने के बाद डीजल कारों की बिक्री और घटेगी। बीएस-6 मानक में पेट्रोल के मुकाबले डीजल को बेहतर व साफ ईंधन बनाने में ज्यादा लागत आती है।’

सरकार ने अप्रैल, से देश भर में सिर्फ बीएस-6 ईंधन बेचने का फैसला किया है जिसे कम प्रदूषण फैलाने वाला माना जाता है। अभी यह दिल्ली में उपलब्ध है। तेल कंपनियां अभी इस पर बढ़ी लागत नहीं वसूल रही हैं। सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल के एक अधिकारी के मुताबिक बीएस-6 मानक आधारित डीजल तैयार करने पर अभी 66 पैसे प्रति लीटर अतिरिक्त लागत आ रही है जबकि पेट्रोल में यह 24 पैसे प्रति लीटर अधिक पड़ती है।

कार उद्योग के सूत्रों का कहना है कि डीजल कारों की बिक्री की रफ्तार पिछले दो वर्षो से ज्यादा तेजी से कम हुई है। कीमत के अतिरिक्त डीजल को लेकर बाजार में संशय भी काफी ज्यादा है कि पता नहीं कब सरकार या न्यायालय की तरफ से प्रदूषण को लेकर डीजल पर कोई बड़ा प्रतिबंध लग जाये। डीजल वाहनों की अवधि 10 वर्ष तय करने की वजह से भी ग्राहकों का रुझान कम हुआ है। कॉमर्शियल वाहनों और टैक्सी में भी डीजल के मुकाबले सीएनजी का इस्तेमाल अधिक हो रहा है। मारुति सुजुकी के कारों में डीजल व पेट्रोल की हिस्सेदारी 35:65 फीसद की थी जो अब घट कर 29:71 फीसद की रह गई है।

डीजल की बढ़ती कीमत का असर स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) पर भी हुआ है। इस वर्ग में डीजल इंजन वाले वाहनों की हिस्सेदारी 80 फीसद से घटकर 50 फीसद पर आ गई है। मारुति सुजुकी, हुंडई, महिंद्रा, टोयोटा, होंडा जैसी कार कंपनियों के ज्यादातर नए वाहन पेट्रोल इंजन पर ही आधारित होंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.