डीजल कीमत में राहत मिलने के आसार
पिछले डेढ़ वर्षो से मूल्य वृद्धि का दंश झेल रहे डीजल वाहन ग्राहकों को अंतत: अब राहत मिलने के आसार बन रहे हैं। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड) की कीमतों में नरमी का यह दौर जारी रहा तो इस महीने के अंत तक डीजल की खुदरा कीमत में कमी की जा सकती है। जनवरी, 2013 से हर महीने 50 पैसे प्रति लीटर की हो रह
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पिछले डेढ़ वर्षो से मूल्य वृद्धि का दंश झेल रहे डीजल वाहन ग्राहकों को अंतत: अब राहत मिलने के आसार बन रहे हैं। अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड) की कीमतों में नरमी का यह दौर जारी रहा तो इस महीने के अंत तक डीजल की खुदरा कीमत में कमी की जा सकती है। जनवरी, 2013 से हर महीने 50 पैसे प्रति लीटर की हो रही वृद्धि की वजह से फिलहाल डीजल पर तेल कंपनियों का घाटा महज आठ पैसे रह गया है। यह घाटा भी अगले हफ्ते तक खत्म हो सकता है।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अब पेट्रोल के साथ डीजल की कीमत भी बाजार से तय होंगी। इसकी कीमत भी तेल कंपनियां महीने में दो बार तय किया करेंगी। पिछले कुछ हफ्तों से अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड के मूल्यों में नरमी का रुख बना हुआ है। नरमी के इस दौर के आगे भी जारी रहने की उम्मीद है। ऐसे में पिछले कई वर्ष बाद डीजल के सस्ता होने के आसार बने हैं। पूर्व संप्रग सरकार ने जनवरी, 2013 में यह फैसला किया था कि वह डीजल की कीमत हर महीने 50 पैसे प्रति लीटर बढ़ाएगी। मोदी सरकार ने भी इस फैसले को जारी रखा। उसके बाद से अभी तक डीजल की खुदरा कीमत 11.81 रुपये बढ़ाई जा चुकी है। केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद रुपये में मजबूती का फायदा भी हो रहा है। सितंबर, 2013 में डीजल पर प्रति लीटर 14.50 रुपये का घाटा हो रहा था।
डीजल पर घाटे का पूरी तरह से खत्म होना तेल कंपनियों के साथ ही सरकार के लिए भी काफी मुनाफे का सौदा साबित होगा। अब इन कंपनियों को सिर्फ रसोई गैस और केरोसिन पर घाटे को वहन करना होगा। इससे तेल कंपनियों को मुनाफा होगा। सरकार पर भी सब्सिडी का बोझ कम होगा। पेट्रोल और डीजल की कीमत बाजार से तय होने की स्थिति में इंडियन ऑयल, ओएनजीसी जैसी तेल कंपनियों के विनिवेश से सरकार को ज्यादा कमाई होगी। पिछले वर्ष डीजल पर 62 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई थी। यह इस वर्ष घटकर 14 हजार करोड़ रुपये रहने के आसार हैं।