DHFL का फर्जीवाड़ा आया सामने, 79 मुखौटा कंपनियों में डाले थे 12,773 करोड़ रुपये
DHFL देश की पहली गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) है जिसके खिलाफ मामलों को आरबीआइ ने नवंबर 2019 में बैंक्रप्सी कोर्ट को भेजने का प्रस्ताव दिया है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के उन खातों का पता लगा लिया है जिसके जरिये 12,773 करोड़ रुपये फर्जीवाड़ा करके 79 शेल (मुखौटा) कंपनियों में डाला गया। यह काम 2011 से 2016 के बीच एक लाख फर्जी रिटेल ग्राहकों को कर्ज देने के नाम पर किया गया।
ईडी ने डीएचएफएल के बही-खातों को खंगाला तो पता चला कि डीएचएफएल ने 2,186 करोड़ रुपये का कर्ज पांच कंपनियों-फेथ रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड, मार्वल टाउनशिप, एबल रियल्टी, पोसेडन रियल्टी और रैंडम रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड को दिया। बाद में इन कंपनियों का विलय सनब्लिंक रियल एस्टेट प्राइवेट लिमिटेड में कर दिया गया। खबर लिखे जाते समय DHFL के शेयर एनएसई पर 4.90 फीसद की गिरावट के साथ 13.60 रुपये पर कारोबार कर रहे थे।
ईडी ने उन एक लाख फर्जी ग्राहकों का पता लगाया और इन्हीं के जरिये लाभ लेने वाली 79 कंपनियों का भी पता चला। सूत्रों के अनुसार, सनब्लिंक रियल एस्टेट ने मुंबई के वर्ली में 225 करोड़ में तीन संपत्तियां (राबिया मैंशन, सी व्यू और मरियम लॉज) खरीदी हैं। आरोप है कि यह संपत्तियां दिवंगत गैंगस्टर इकबाल मेमन उर्फ इकबाल मिर्ची की हैं। यह बातें तब सामने आई हैं जब ईडी ने डीएचएफएल के प्रमोटर कपिल वधावन को गिरफ्तार किया।
डीएचएफएल के खिलाफ पिछले साल दर्ज केस में वधावन की गिरफ्तारी पांचवीं है। बताया जाता है कि वधावन ने डीएचएफएल की रकम को शेल कंपनियों में डालने में अहम भूमिका निभाई।
जांच एजेंसी ने दावा किया है कि डीएचएफएल के प्रोमोटर धीरज वधावन ने इन संपत्तियों को खरीदने के लिए इकबाल मिर्ची से कई बार मुलाकात की थी। इस सौदे में 111 करोड़ रुपये बतौर कर्ज चुकाए गए जिसे डीएचएफएल ने सनब्लिंक रियल एस्टेट को दिया और फिर आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स से मिले कर्ज के जरिये चुकाया गया कर्ज बताया। ईडी का आरोप है कि इन पांचों कंपनियों को दिए गए कर्ज में किसी मानक का पालन नहीं किया गया। यह कंपनियां भी फर्जी थीं जिनकी कोई संपत्ति ही नहीं थी।
डीएचएफएल देश की पहली गैर-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) है जिसके खिलाफ मामलों को आरबीआइ ने नवंबर, 2019 में बैंक्रप्सी कोर्ट को भेजने का प्रस्ताव दिया है। डीएचएफएल को 83,873 करोड़ रुपये की रकम कर्जदाता बैंकों और निवेशकों को लौटाना है।