दो विभागों की खींचतान में फंसी ट्रेन-18 की लांचिंग
रेलवे के मुख्य संरक्षा आयुक्त (सीसीआरएस) 21 दिसंबर को ट्रेन-18 को सशर्त मंजूरी प्रदान कर चुके हैं।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। स्वदेश निर्मित ट्रेन-18 की लांचिंग रेलवे के दो विभागों की खींचतान में फंस गई है। इलेक्ट्रिकल विभाग का कहना है कि लांचिंग से पहले ट्रेन को इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर जनरल (ईआइजी) से सेफ्टी सर्टिफिकेट हासिल करना चाहिए। वहीं, मैकेनिकल विभाग का कहना है कि कानून के मुताबिक ईआइजी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। रेलवे के मुख्य संरक्षा आयुक्त (सीसीआरएस) 21 दिसंबर को ट्रेन-18 को सशर्त मंजूरी प्रदान कर चुके हैं।
उन्होंने अपने आदेश में कहा था, 'संबंधित जोनल रेलवे के ईआइजी द्वारा ट्रेन की सभी विद्युत प्रणालियों को प्रमाणित करना चाहिए और ट्रेन के वाणिज्यिक संचालन से पहले उसे आयोग में दाखिल किया जाना चाहिए।' इससे पहले रेलवे का रिसर्च डिजायन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) भी ट्रेन का निरीक्षण कर चुका है।
आठ जनवरी को हुई रेलवे बोर्ड की बैठक में दोनों विभागों की खींचतान के मसले पर चर्चा हुई थी, लेकिन कोई हल नहीं निकला। लिहाजा, रेलवे बोर्ड इस मसले को सुलझाने के लिए इसे फिर सीसीआरएस के पास भेजने की योजना बना रहा है। हालांकि रेलवे बोर्ड चाहे तो सीसीआरएस की शर्त खारिज कर सकता है और ट्रेन शुरू करने की मंजूरी दे सकता है। गतिमान एक्सप्रेस के मामले में बोर्ड ऐसा कर भी चुका है।
इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) ने ट्रेन-18 में कम जगह दिए जाने पर आपत्ति व्यक्त की है। कॉरपोरेशन का कहना है कि इतनी कम जगह में वह यात्रियों को सेवा उपलब्ध नहीं करा सकता। सूत्रों ने बताया कि ट्रेन की निर्माता चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) को इस मुद्दे से अवगत करा दिया गया है। आइसीएफ ने अगले रैक में बदलाव करने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी है।