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निर्यात हिस्सेदारी बढ़ाने को 'Assemble in India' का रोडमैप बनाएगा विभाग, चार करोड़ लोगों को रोजगार भी मिलेगा

सरकार Assemble in India के तहत भारत को सप्लाई चेन का प्रमुख केंद्र बनाना चाहती है। आसपास के देशों के लिए सप्लाई चेन बनने से निर्यात में आसानी से बढ़ोतरी की जा सकती है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Tue, 25 Feb 2020 08:23 AM (IST)Updated: Tue, 25 Feb 2020 01:09 PM (IST)
निर्यात हिस्सेदारी बढ़ाने को 'Assemble in India' का रोडमैप बनाएगा विभाग, चार करोड़ लोगों को रोजगार भी मिलेगा
निर्यात हिस्सेदारी बढ़ाने को 'Assemble in India' का रोडमैप बनाएगा विभाग, चार करोड़ लोगों को रोजगार भी मिलेगा

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ‘एसेंबल इन इंडिया’ के तहत विश्व निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए रोडमैप तैयार करने जा रहा है। एसेंबल इन इंडिया के तहत वर्ष 2025 तक दुनियाभर के निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 3.5 फीसद करने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को हासिल करने पर वर्ष 2025 तक चार करोड़ रोजगार का सृजन होगा।

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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2018 के अंत में विश्व निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी मात्र 1.7 फीसद थी। विश्व बाजार में निर्यात के लिहाज से भारत का स्थान 19वां है। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, एसेंबल इन इंडिया के तहत निर्यात हिस्सेदारी बढ़ाने की दिशा में काम शुरू हो गया है। इस मामले में प्रमुख औद्योगिक संगठनों से भी विचार-विमर्श किया जा रहा है।

उद्योग जगत का मानना है कि एसेंबल इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए मुख्य रूप से इज ऑफ डूइंग बिजनेस को और सरल बनाने के साथ श्रम नियमों को लचीला बनाने की आवश्यकता है। मंत्रालय की तरफ से इन मसलों को ध्यान में रखते हुए रोडमैप तैयार किया जाएगा।

सरकार एसेंबल इन इंडिया के तहत भारत को सप्लाई चेन का प्रमुख केंद्र बनाना चाहती है। आसपास के देशों के लिए सप्लाई चेन बनने से निर्यात में आसानी से बढ़ोतरी की जा सकती है। एसेंबल इन इंडिया असल में मेक इन इंडिया का ही हिस्सा होगा।

इस साल पेश आर्थिक सर्वे में पहली बार एसेंबल इन इंडिया का जिक्र किया गया था। एसेंबल इन इंडिया के तहत वर्ष 2030 तक विश्व निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी को छह फीसद करने का लक्ष्य है। पिछले वित्त वर्ष में भारत से वस्तुओं का निर्यात 330 अरब डॉलर (करीब 23 लाख करोड़ रुपये) मूल्य का रहा।


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