GST को लेकर व्यापारी कर रहा था चालबाजी, हाई कोर्ट ने ठोक दिया लाखों का जुर्माना; पढ़ें क्या था पूरा मामला
दिल्ली हाई कोर्ट ने जीएसटी मामले में एक व्यापारी पर 5 लाख का जुर्माना लगाया। व्यापारी ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन रद्द होने में हो रही देरी को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। HC ने पाया कि उसने अदालत को गुमराह करने की कोशिश की। विभाग ने बताया कि व्यापारी ने करोड़ों का कारोबार किया पर नकद जीएसटी नहीं दिया। अदालत ने विभाग को व्यापारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया।
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GST पर व्यापारी कर रहा था चालबाजी, हाई कोर्ट ने ठोका दिया लाखों का जुर्माना; पढ़ें क्या था पूरा मामला
नई दिल्ली। जीएसटी से जुड़े एक मामले को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। इस सुनवाई में व्यापारी की चालबाजी उसी पर भारी पड़ गई और हाई कोर्ट ने उसके ऊपर 5 लाख रुपये का जुर्माना ठोक दिया। सुनवाई के दौरान न्यायाधीशों को लाखों रुपये के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) दावों के संकेत मिले। जीएसटी पंजीकरण रद्द करने के एक साधारण अनुरोध के रूप में शुरू हुई यह याचिका अंततः याचिकाकर्ता पर ₹5 लाख का भारी जुर्माना लगाने के साथ समाप्त हुई।
अदालत को गुमराह करने का प्रयास
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने पाया कि व्यापारी ने अपने व्यवसाय की प्रकृति के बारे में अदालत को गुमराह करने का प्रयास किया था। ₹5 लाख के जुर्माने में से ₹2 लाख दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन को, ₹2 लाख जीएसटी विभाग को और ₹1 लाख सेल्स टैक्स बार एसोसिएशन को दिए जाएँगे।
व्यापारी ने अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए कहा था कि GST विभाग उसका जीएसटी रजिस्ट्रेशन रद्द करने में देरी कर रहा है। हालांकि, विभाग ने अदालत को सूचित किया कि याचिकाकर्ता ने छह से सात महीनों के भीतर ₹7 करोड़ से अधिक का कारोबार दर्ज किया था। और उस अवधि के दौरान उसने नकद में कोई जीएसटी भुगतान नहीं किया था। एक क्षेत्रीय दौरे से यह भी पता चला कि रजिस्टर्ड एड्रेस व्यवसाय मौजूद नहीं था।
याचिकाकर्ता ने इससे इनकार किया और एक छोटा वीडियो पेश करके दावा किया कि दुकान वास्तव में उसे किराए पर दी गई थी और उसका कोई निरीक्षण नहीं हुआ था। लेकिन जब अदालत ने उससे और पूछताछ की तो मामला अलग मोड़ ले लिया।
अदालत ने विभाग को व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई करने के दिए निर्देश
पीठ ने कहा, "याचिकाकर्ता ने अपने व्यवसाय की प्रकृति के बारे में अदालत को पूरी तरह से गुमराह किया है। ऐसा लगता है कि पूरा प्रयास किसी तरह आईटीसी के संबंध में विभाग द्वारा आगे की कानूनी कार्रवाई से बचने का था, जिसके बारे में कहा गया है कि उसने धोखाधड़ी करने वाली संस्थाओं से लाभ उठाया था।"
अदालत ने याचिका खारिज कर दी और विभाग को व्यापारी के खिलाफ "कड़ी कार्रवाई" करने का निर्देश दिया।
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