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जीएसटी रिफंड प्रक्रिया में देरी से फंस सकते हैं 65000 करोड़ रुपये

जीएसटी काउंसिल की छह अक्टूबर को होने वाली अगली बैठक में निर्यातकों राहत मिलने की संभावना है

By Surbhi JainEdited By: Published: Wed, 20 Sep 2017 10:47 AM (IST)Updated: Wed, 20 Sep 2017 10:47 AM (IST)
जीएसटी रिफंड प्रक्रिया में देरी से फंस सकते हैं 65000 करोड़ रुपये
जीएसटी रिफंड प्रक्रिया में देरी से फंस सकते हैं 65000 करोड़ रुपये

नई दिल्ली (जेएनएन)। निर्यातकों के लिए जीएसटी के रिफंड की प्रक्रिया में अगर तेजी नहीं लाई गई तो 65,000 करोड़ रुपये फंस सकते हैं। वहीं रिफंड नहीं मिल पाने के कारण निर्यातकों को वित्तीय परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते कई निर्यातकों ने ऑर्डर लेना भी बंद कर दिया है। इसके मद्देनजर जीएसटी काउंसिल की अधिकारी स्तर की समिति की मंगलवार को पहली बैठक हुई तो इसमें कई मुद्दे सामने आए। जीएसटी काउंसिल की छह अक्टूबर को होने वाली अगली बैठक में निर्यातकों को राहत मिल सकती है। माना जा रहा है कि इस बैठक में निर्यातकों की समस्याओं को दूर करने के लिए कुछ उपायों का एलान किया जा सकता है। पहले यह बैठक 24 अक्टूबर को प्रस्तावित थी।

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पहली जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद निर्यातकों को आ रही समस्याओं को हल करने के लिए जीएसटी काउंसिल की अधिकारी स्तर की समिति की मंगलवार को पहली बैठक हुई। इसमें निर्यातकों के कई मुद्दे सामने आए। राजस्व सचिव हसमुख अढिया की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में आठ निर्यात प्रोत्साहन संघों के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक के बाद निर्यातक संघों के फेडरेशन फियो के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि अगर निर्यातकों को तत्काल रिफंड मिलना शुरू नहीं होता है तो 65,000 करोड़ रुपये धनराशि अक्टूबर तक के अंत तक फंसी रहेगी। इससे निर्यातकों की नकदी की स्थिति और खराब होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार जल्द ही इस संबंध में फैसला लेगी और जिससे कि निर्यातकों के लिए भी समान अवसर सुनिश्चित होंगे।
बैठक के दौरान निर्यातकों ने रिफंड जारी करने की प्रक्रिया जीएसटीआर1 और जीएसटीआर3बी के आंकड़ों के आधार पर हो शुरू करने की वकालत की। दरअसल जीएसटीआर3बी में सरल रिटर्न है, जिसकी सुविधा कारोबारियों को कुछ समय के लिए ही दी गई है। जबकि जीएसटीआर1 में हर माह आपूर्ति का ब्योरा देना होता है।

निर्यातकों के प्रतिनिधियों ने बैठक में कहा कि रिफंड जारी होने में देरी के चलते निर्यातकों को वर्किंग कैपिटल की परेशानी आ रही है। इसके चलते कई निर्यातकों ने ऑर्डर स्वीकारना ही बंद कर दिया है। उन्होंने सुझाव दिया कि फिलहाल निर्यातकों को रिफंड जारी कर दिया जाए जबकि इनवॉयस के अनुसार मैचिंग बाद में की जा सकती है। इसके अलावा निर्यातकों ने जॉब वर्क पर 18 प्रतिशत जीएसटी का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने सिर्फ टेक्सटाइल के जॉब वर्क को पांच प्रतिशत की श्रेणी में रखा है। दूसरे क्षेत्रों को भी यह सुविधा मिलनी चाहिए।

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के बोर्ड सदस्य पीके शाह ने कहा कि आगामी त्योहारी सीजन को देखते हुए निर्यातकों को कम से कम 90 प्रतिशत रिफंड मिल जाना चाहिए। शेष राशि पूरी तरह वेरिफिकेशन और इनवॉयस मिलान के बाद जारी की जा सकती है। काउंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट के उपाध्यक्ष पी अहमद ने कहा कि निर्यातकों को चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ रहा है और उन्हें तत्काल रिफंड जारी करने की जरूरत है। जेम्स एंड ज्वैलरी उद्योग के प्रतिनिधियों ने समिति के समक्ष प्रजेंटेशन दिया। उन्होंने ज्वैलरी बनाने और निर्यात करने के लिए कीमती धातु की खरीद पर इंटीग्रेटेड जीएसटी (आइजीएसटी) से छूट दिए जाने की मांग की। उद्योग चैंबर सीआइआइ ने भी सरकार से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए विशेष पहल करने की मांग की है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की नौ सितंबर को हैदराबाद में हुई बैठक में अधिकारी स्तर की समिति बनाने का निर्णय किया गया था। इस समिति में गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के अधिकारी बतौर सदस्य शामिल हैं। समिति निर्यातकों की समस्याओं को सुनकर उनका हल निकालने की कोशिश करेगी। इसके बाद समिति अपनी सिफारिशें जीएसटी काउंसिल के पास भेजेगी। काउंसिल ही इस संबंध में अंतिम निर्णय लेगी।


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