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अधिकारी का दावा, नोटबंदी के बाद GDP के मुकाबले नोटों के प्रचलन में आई कमी

नोटबंदी के बाद नोटों का प्रचलन कम हुआ है। नोटबंदी के बाद 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों में तय समय सीमा के अंदर जमा हुए थे।

By Sajan ChauhanEdited By: Published: Wed, 27 Mar 2019 06:28 PM (IST)Updated: Thu, 28 Mar 2019 10:19 AM (IST)
अधिकारी का दावा, नोटबंदी के बाद GDP के मुकाबले नोटों के प्रचलन में आई कमी
अधिकारी का दावा, नोटबंदी के बाद GDP के मुकाबले नोटों के प्रचलन में आई कमी

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक नोटबंदी के दो साल बाद जीडीपी के अनुपात में नोटों के प्रचलन में कमी आई है।

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मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक नोटों का प्रचलन 1 फीसद घटकर 10.48 फीसद पर आ गया है। भारत सरकार ने काले धन की रोकथाम के लिए 8 नवंबर, 2016 को 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद किया था।

एक अधिकारी ने कहा कि जीडीपी के लेकर बात की जाए तो नोटों का प्रचलन 8 नवंबर, 2016 को 11.55 फीसद था जो कि दो साल बाद 8 नवंबर, 2018 को 10.48 पर आ गया है।

नोटबंदी की वजह से नोटों का प्रचलन कम हुआ है। नोटबंदी के बाद 15.31 लाख करोड़ रुपये के नोट बैंकों में तय समय सीमा के अंदर जमा हुए थे। 8 नवंबर 2016 को प्रचलन में 500 रुपये और 1000 रुपये के 15.41 लाख करोड़ रुपये के 99.3 प्रतिशत नोट थे।

नोटबंदी का एक उद्देश्य नकद लेनदेन को कम करना और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देना था। अक्टूबर 2014 से अक्टूबर 2016 के दौरान नोटों के प्रचलन में हर साल औसतन 14.51 फीसद की बढ़त दर्ज की गई थी। 4 नवंबर 2016 को प्रचलन में 17.74 लाख करोड़ रुपये के नोट थे, जो कि 22 मार्च, 2019 तक बढ़कर 21.22 लाख करोड़ रुपये हो गए।

वित्त मंत्रालय के अनुसार, मार्च 2019 के आखिर तक प्रचलन में नोट बढ़कर 24.55 लाख करोड़ रुपये हो जाते। अगर सरकार ने नोटबंदी नहीं की होती तो वर्तमान प्रचलन में नोटों का मुल्य 3 लाख करोड़ रुपये अधिक होता।

एक अधिकारी ने डिजिटल लेनदेन के बारे में कहा कि अक्टूबर 2018 तक डिजिटल लेनदेन की मात्रा 210.32 करोड़ रुपये हो गई, जो कि अक्टूबर 2016 तक 71.19 करोड़ रुपये ही थी। डिजिटल लेनदेन भी अक्टूबर 2018 में बढ़कर 135.97 लाख करोड़ रुपये हो गया जो कि अक्टूबर 2016 में 87.68 लाख करोड़ रुपये था। 


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