ग्लोबल मार्केट में गिरावट से किसी को फायदा नहीं : सुरेश प्रभु
वैश्विक कारोबार में गिरावट से किसी देश को फायदा नहीं हो सकता। सुरेश प्रभु ने मंगलवार को यह बात कही।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वैश्विक कारोबार में गिरावट से किसी देश को फायदा नहीं हो सकता। वैश्विक अर्थव्यवस्था का धीमा पड़ना भारत समेत सभी देशों के लिए चिंता का विषय है। उद्योग संगठन एसोचैम के एक कार्यक्रम में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने मंगलवार को यह बात कही।
प्रभु ने कहा कि पिछले छह-सात दशक में वैश्विक स्तर पर कारोबार में निश्चितता होती थी। वहीं पिछले कुछ महीनों के दौरान इसमें नाटकीय बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में 2025 तक पांच लाख करोड़ डॉलर और तक 10 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने की क्षमता है। ऐसे में वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी भारत के लिए चिंता की बात है। अभी भारत ढाई लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका द्वारा कुछ स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर आयात शुल्क लगाने के कदम से दुनियाभर में ट्रेड वार के हालात बन गए हैं। अमेरिका ने चीन से होने वाले आयात पर भी शुल्क लगाया है। इसके बदले में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने की घोषणा कर दी है। दुनिया की दो आर्थिक महाशक्तियों के बीच इस तनातनी से तमाम देश प्रभावित हो रहे हैं।
सुरेश प्रभु का बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि चालू वित्त वर्ष में बीते महीने पहली बार भारतीय निर्यात में कमी आई है। सितंबर में निर्यात 2.15 फीसद गिरकर 27.95 अरब डॉलर रहा। इंजीनियरिंग और रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में गिरावट से निर्यात में कमी आई। प्रभु ने कहा कि उनके मंत्रालय ने एक उच्चस्तरीय पैनल गठित किया है, जो निर्यात बढ़ाने और मौजूदा परिस्थितियों से निपटने के लिए सरकार को सुझाव देगा। मंत्रालय ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उत्पादों और देशों की पहचान भी की है। उन्होंने कहा, ‘पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में हम एक्शन प्लान तैयार कर रहे हैं। एक लाख करोड़ डॉलर मैन्यूफैक्चरिंग से, तीन लाख करोड़ डॉलर सर्विस सेक्टर से और एक लाख करोड़ डॉलर कृषि क्षेत्र से आएगा।’ मंत्री ने यह संकेत भी दिया कि विश्व बैंक की ओर से जारी होने वाले कारोबारी सुगमता (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) इंडेक्स में भारत की स्थिति सुधरी है। विश्व बैंक की रिपोर्ट इस महीने जारी होगी। स्टील उद्योग के दिग्गज सज्जन जिंदल ने भारत को ट्रेड डेफिसिट (निर्यात कम, आयात ज्यादा) से ट्रेड सरप्लस (निर्यात ज्यादा, आयात कम) वाला देश बनाने की जरूरत पर बल दिया।
मजबूत नेतृत्व से होता है विकास : जेटली
विकास को गति देने, गरीबी मिटाने और देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए केंद्र में मजबूत और फैसले लेने में सक्षम नेतृत्व की जरूरत है। अस्थिर गठबंधन ऐसा नहीं कर सकता। अगले साल होने जा रहे आम चुनावों को देखते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मौजूदा सरकार के तेज फैसले लेने की क्षमता ने आइएलएंडएफएस के संकट से उबरने में मदद की। एक संकट को उभरने से पहले ही संभाल लिया गया। कमजोर सरकार ऐसा नहीं कर पाती।