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अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में कॉरपोरेट लोन रिस्ट्रक्चरिंग पर फैसला संभव, वित्त मंत्री ने दिया संकेत

एसबीआइ चेयरमैन रजनीश कुमार ने शुक्रवार को बताया कि आरबीआइ के साथ बैठक में एक सुर में सारे बैंकों ने यह कहा है कि मोरेटोरियम बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है। (PC AFP)

By Ankit KumarEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 10:28 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 07:35 AM (IST)
अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में कॉरपोरेट लोन रिस्ट्रक्चरिंग पर फैसला संभव, वित्त मंत्री ने दिया संकेत
अगली मौद्रिक नीति समीक्षा में कॉरपोरेट लोन रिस्ट्रक्चरिंग पर फैसला संभव, वित्त मंत्री ने दिया संकेत

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अगले हफ्ते रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक के दौरान कॉरपोरेट लोन रिस्ट्रक्चरिंग पर सकारात्मक फैसला होने की उम्मीद है। कोविड-19 ने जिस तरह से देश की इकोनॉमी को प्रभावित किया है, उसे देखते हुए कर्जदारों के साथ-साथ बैंक भी मान रहे हैं कि आने वाले दिनों में कर्ज की अदायगी आसान नहीं रहेगी। इस बारे में वित्त मंत्रालय में लगातार विमर्श हो रहा है। अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वयं यह संकेत दिया है कि इस बारे में सैद्धांतिक सहमति बन गई है। जबकि देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआइ के चेयरमैन रजनीश कुमार ने इसकी जरूरत बताते हुए कहा है कि आरबीआइ अपनी अगली समीक्षा बैठक के फैसलों की घोषणा छह अगस्त यानी अगले सप्ताह गुरुवार को करने वाला है। 

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बारे में सरकार का नजरिया स्पष्ट करते हुए कहा, 'अभी हमारा ध्यान लोन रिस्ट्रक्चरिंग पर है। इस बारे में आरबीआइ के साथ लगातार विचार विमर्श चल रहा है। सैद्धांतिक तौर पर यह बात स्वीकार की गई है कि लोन रिस्ट्रक्चरिंग (अदायगी के लिए मोहलत बढ़ाने और किस्त की रकम घटाने समेत अन्य प्रावधानों) की जरूरत है।' 

वित्त मंत्री ने उद्योग चैंबर फिक्की की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही। इस बैठक में उद्योग जगत के लगभग हर प्रतिनिधि ने इसकी जरूरत बताई। इसकी मंजूरी मिल जाने पर यह देश के इतिहास में सबसे बड़ा कारपोरेट लोन रिस्ट्रक्चरिंग होगा जिसके तहत कंपनियों को बकाया कर्ज के भुगतान में सहूलियत दी जाएगी। इससे पहले वर्ष 2008 की वैश्विक मंदी के दौरान कंपनियों को इस तरह की सुविधा दी गई थी। वैसे, इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि उन्हीं सेक्टर की कंपनियों को इसका फायदा मिले जिनका काम-काज कोविड-19 की वजह से प्रभावित हुआ है।

जानकारों के मुताबिक इस हफ्ते पीएम नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में भी वित्तीय सेक्टर की तरफ से कॉरपोरेट लोन की रिस्ट्रक्चरिंग पर एक प्रजेंटेशन दिया गया। बैंकों का कहना है कि कोविड-19 ने जिस तरह से औद्योगिक व्यापारिक गतिविधियों को प्रभावित किया है उसे देखते हुए कंपनियों के राजस्व पर भारी असर पड़ता दिख रहा है। आरबीआइ ने भी अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है कि आर्थिक मंदी की वजह से फंसे कर्ज यानी एनपीए का स्तर (कुल एडवांस के मुकाबले) मौजूदा 8.5 फीसद से बढ़कर 15.2 फीसद तक हो सकता है। इसका असर पूरी बैंकिंग व्यवस्था पर दिख सकता है। लेकिन रिस्ट्रक्चरिंग से अगर कंपनियों को नए सिरे से कर्ज चुकाने की अनुमति मिलती है तो बैंक एनपीए के भारी बोझ को टाल सकते हैं। इसलिए बैंक इसकी मांग कर रहे हैं। 

एसबीआइ चेयरमैन रजनीश कुमार ने शुक्रवार को बताया कि आरबीआइ के साथ बैठक में एक सुर में सारे बैंकों ने यह कहा है कि मोरेटोरियम बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह अवधि 31 अगस्त, 2020 को समाप्त हो रही है और हमें इसे यहीं पर रोक देना चाहिए। जहां तक लोन रिस्ट्रक्चरिंग की बात है तो आरबीआइ की मौद्रिक नीति का इंतजार किया जाना चाहिए।-


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