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अक्टूबर की मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दर में मामूली कटौती कर सकता है RBI: DBS

डीबीएस की राधिका राव ने कहा अभी जो वित्तीय प्रोत्साहन दिया गया है उसका फोकस निवेश बढ़ाने पर है उपभोग बढ़ाने पर नहीं।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 05:01 PM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 08:10 AM (IST)
अक्टूबर की मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दर में मामूली कटौती कर सकता है RBI: DBS
अक्टूबर की मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दर में मामूली कटौती कर सकता है RBI: DBS

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारतीय रिजर्व बैंक अगले महीने अक्टूबर में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों में मामूली कटौती करने का फैसला ले सकता है। सिंगापुर के डीबीएस बैंक ने यह अनुमान लगाया है। इसके साथ ही डीबीएस बैंक की अर्थशास्त्री राधिका राव ने सोमवार को कहा है कि जो वित्तीय प्रोत्साहन दिया गया है, उसका मुद्रास्फीतिक प्रभाव नहीं होगा।

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डीबीएस की राधिका राव ने कहा, "अभी जो वित्तीय प्रोत्साहन दिया गया है, उसका फोकस निवेश बढ़ाने पर है, उपभोग बढ़ाने पर नहीं। ऐसे में इसका मुद्रास्फीतिक प्रभाव नहीं पड़ेगा। हमारा मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) अक्टूबर में नीतिगत दरों में मामूली कटौती करेगी।"

पिछले सप्ताह शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा कॉरपोरेट टैक्स में की गई कटौती पर भी डीबीएस की राधिका राव ने अपना विचार रखा। राव ने इस कटौती पर कहा, ‘‘ भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कमजोर मुद्रास्फीति और उत्पादन में गिरावट के मद्देनजर ‘शांतिवादी’ रुख कायम रखने का संकेत दिया है।’’

गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते शुक्रवार को घरेलू कंपनियों के लिए मूल कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 से घटाकर 22 फीसद करने की घोषणा की थी। इसके बाद घरेलू कंपनियों पर प्रभावी दर अधिभार और उपकर समेत 34.94 फीसद से घटकर 25.17 फीसद पर आ गई है।

बता दें कि भारतीय रिज़र्व बैंक लगातार चार बार रेपो रेट को कम कर चुका है। चौथी बार में बैंक ने रेपो रेट में 35 आधार अंक अर्थात 0.35 फीसद की कटौती की थी। आरबीआई के इस फैसले के साथ ही रेपो रेट 5.75 फीसद से घटकर 5.40 फीसद पर आ गई थी। डीबीएस के अनुमान के अनुसार, अब आरबीआई लगातार चौथी बार रेपो रेट में कमी कर सकता है।

क्या होती है रेपो रेट

रेपो रेट वह रेट होती है, जिस पर बैंक आरबीआई (RBI) से लोन लेते हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक रेपो रेट में कटौती करके बैंकों को यह संदेश देता है कि उन्हें आम लोगों और कंपनियों के लिए लोन को सस्ता करना चाहिए।


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