Crude Oil War: सऊदी अरब द्वारा दाम में बड़ी कटौती से भरभराकर गिरा तेल का भाव, 30 फीसद से ज्यादा की गिरावट
Crude Oil War भारत अपनी जरूरत का करीब 83 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है। कच्चे तेल के दाम में प्रति डॉलर गिरावट से भारत को करीब 3000 करोड़ रुपये का फायदा होगा।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सऊदी अरब द्वारा अगले महीने से कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने के फैसले के बाद दुनियाभर में इसका दाम भरभराकर गिर गया है। यह भारत और चीन समेत सभी बड़े तेल उपभोक्ताओं के लिए ‘ऑयल बोनांजा’ की तरह है, क्योंकि तेल के घटे दाम से देश को व्यापार घाटा काबू करने में बड़ी मदद मिलगी। सऊदी अरब के इस फैसले का सीधा असर कच्चे तेल के दाम पर पड़ा है। सोमवार को एशिया में ट्रेडिंग के लिए खुलने के कुछ देर बाद ही ब्रेंट ऑयल का फ्यूचर भाव करीब 30 फीसद गिर गया।
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तेल उत्पादक और निर्यातक देशों के संगठन ‘ओपेक प्लस’ की पिछले दिनों उत्पादन कटौती पर चल रही वार्ता विफल हो गई। कच्चे तेल के घटते दाम को विक्रेता के हिसाब से उचित स्तर पर वापस लाने के लिए इन देशों ने उत्पादन में कटौती जारी रखने का प्रस्ताव रखा था, जिस पर सदस्य सहमत नहीं हुए। उसके बाद सऊदी अरब ने न केवल घरेलू कच्चे तेल का दाम एकदम घटाकर तीस वर्षो से भी अधिक समय के निचले स्तर पर ला दिया, बल्कि यह फैसला भी किया कि वह अगले महीने से उत्पादन बढ़ाकर कम से कम एक करोड़ बैरल प्रतिदिन के पार पहुंचाएगा।
उसके इस फैसले को साफ तौर पर ऑयल वार की तरह देखा जा रहा है। सऊदी अरब की सरकारी ऑयल कंपनी अरैमको यूरोप, एशिया और अमेरिका में अपने ग्राहकों को भारी डिस्काउंट ऑफर कर रही है।
भारत अपनी जरूरत का करीब 83 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है। कच्चे तेल के दाम में प्रति डॉलर गिरावट से भारत को करीब 3,000 करोड़ रुपये का फायदा होगा। कोटक महिंद्रा बैंक के एमडी व सीईओ उदय कोटक ने एक ट्वीट में कहा है कि अस्थिरता और वायरस के बीच आखिरकार कुछ अच्छी खबर है।
कच्चा तेल 45 डॉलर प्रति बैरल पर है और पिछले कुछ समय में इसमें हुई 20 डॉलर की गिरावट से भारत को सालाना 3,000 करोड़ डॉलर (2.1 लाख करोड़ रुपये) से अधिक की बचत होगी। दुनियाभर में ब्याज दरों में भी कमी हुई है, जिससे कर्ज सस्ता मिलेगा। हमें इस स्थिति का फायदा उठाना चाहिए, ताकि विकास को गति दी जा सके।
जानकारों का कहना है कि कच्चे तेल का दाम अगले पूरे वित्त वर्ष में दबाव में दिखेगा और इसके 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाने की कोई संभावना नहीं है। सऊदी अरब द्वारा दाम घटाने के बाद उसके अन्य स्पर्धी भी अपने-अपने बाजारों की रक्षा के लिए दाम घटाएंगे। यह प्राइस वार निश्चित तौर पर भारत के लिए बेहद फायदेमंद रहने वाला है। सऊदी अरब ने स्पष्ट कहा है कि अगर जरूरत पड़ी, तो वह उत्पादन को 1.2 करोड़ बैरल प्रतिदिन तक के उच्च स्तर पर ले जाने से भी नहीं हिचकेगा।