क्रूड ऑयल और कंपनियों के तिमाही नतीजे तय करेंगे शेयर बाजार की दिशा
इस हफ्ते एसबीआइ और सिप्ला जैसी ब्लूचिप कंपनियों के नतीजे आने हैं। कर्नाटक चुनाव के नतीजों और राजनीतिक अनिश्चितता के चलते बीते हफ्ते बीएसई के सेंसेक्स में 687 अंक की गिरावट आई थी
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। हफ्ते के पहले कारोबारी दिन एशियाई बाजारों की मजबूत शुरुआत भारतीय बाजार के लिए सकारात्मक संकेत है। निवेशकों की नजर कंपनियों के तिमाही नतीजों, कच्चे तेल और इससे महंगाई व व्यापार घाटा पर पड़ने वाले प्रभाव पर टिकी रहेगी। इसके अतिरिक्त इस हफ्ते एसबीआइ और सिप्ला जैसी ब्लूचिप कंपनियों के नतीजे भी बाजार की चाल पर असर डालेंगे। बीता हफ्ता प्रमुख शेयर बाजारों के लिए अच्छा नहीं बीता था। इस दौरान बीएसई के सेंसेक्स में 687.49 अंक की गिरावट दर्ज की गई थी।
एशियाई बाजारों का हाल: अगर एशियाई बाजारों की बात करें को आज एशियाई बाजारों ने मजबूत शुरुआत की है। सुबह के करीब 8 बजे जापान का निक्केई 0.36 फीसद की बढ़ोतरी के साथ 23013.45 पर, चीन का शांघाई 0.41 फीसद की तेजी के साथ 3206.44 एवं हैंगसेंग 1.08 फीसद की तेजी के साथ 31393.57 और ताइवान का कोस्पी 0.18 फीसद की तेजी के साथ 2465.11 फीसद की तेजी के साथ कारोबार करता देखा गया।
इससे पहले अमेरिकी शेयर बाजारों में मिला-जुला रुख देखने को मिला। डाओ जोंस सपाट स्तर पर 24715.09 पर बंद हुआ, वहीं स्टैंडर्ड एंड पुअर 0.26 फीसद की गिरावट के साथ 2712.97 पर कारोबार कर बंद हुआ। नैस्डैक 28.13 अंकों की गिरावट के साथ 7354.34 के स्तर पर कारोबार कर बंद हुआ।
विशेषज्ञों का नजरिया: जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजिस्ट वी. के. विजय कुमार ने कहा, ‘कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों का असर ज्यादा समय तक नहीं रहेगा। 2019 के लोकसभा चुनाव पर इससे बहुत ज्यादा असर पड़ने के आसार नहीं हैं। ऐसे में इस साल के आखिर में होने जा रहे मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावों तक बाजार को प्रभावित करने में राजनीतिक कारणों से ज्यादा आर्थिक आंकड़ों की भूमिका रहेगी।’
उन्होंने कहा कि अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 80 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है। इसकी वजह से महंगाई, ब्याज दरों और आर्थिक विकास पर पड़ने वाले असर पर निवेशकों की निगाह रहेगी। अगर कच्चा तेल 85 डॉलर के स्तर को पार करता है तो बाजार में बिक्री का दौर दिख सकता है। कच्चे तेल की कीमत नियंत्रित रही तो बाजार सीमित दायरे में कारोबार करेगा। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि तिमाही नतीजों के चलते कुछ विशेष स्टॉक में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। इस हफ्ते सिप्ला, डॉ. रेड्डी, एसबीआइ, जेट एयरवेज, टाटा मोटर्स और गेल जैसी बड़ी कंपनियों के नतीजे आने हैं।
आ सकता है गिरावट का एक और दौर: भारतीय इक्विटी बाजार में आने वाले दिनों में गिरावट का दौर देखने को मिल सकता है। ग्लोबल फर्म एडलवीस इन्वेस्टमेंट रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव की ओर बढ़ते कदम, ऊंची बॉन्ड यील्ड और रुपये की कमजोर हालत के चलते बाजार दबाव में रहेंगे। निफ्टी में 10,000 के स्तर के आसपास कारोबार होता दिखेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू निवेश बाजार को बड़े उतार-चढ़ाव से बचाने में सहायक होगा। इस समय घरेलू म्यूचुअल फंड एसआइपी एक अरब डॉलर मासिक के स्तर पर पहुंच गया है। बाजार को सहारा देने के लिहाज से यह बड़ी राशि है।
शीर्ष 10 में से पांच कंपनियों का एम-कैप गिरा: देश की शीर्ष 10 कंपनियों में से पांच के बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) में बीते हफ्ते 57,333.55 करोड़ रुपये की गिरावट आई। सबसे ज्यादा नुकसान रिलायंस इंडस्ट्रीज को हुआ। रिलायंस इंडस्ट्रीज का एम-कैप 34,908.45 करोड़ रुपये गिरकर 5,91,353.05 करोड़ रुपये रहा। एचडीएफसी, मारुति सुजुकी, ओएनजीसी और आइटीसी के एम-कैप में भी गिरावट आई। समीक्षाधीन सप्ताह में टीसीएस, इन्फोसिस, एचडीएफसी बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर और कोटक महिंद्रा के एम-कैप में वृद्धि हुई।
विदेशी निवेशकों ने निकाले 18 हजार करोड़ रुपये: भारतीय पूंजी बाजार से विदेशी निवेशकों के पैसा निकालने का क्रम जारी है। मई में अब तक (दो से 18 मई) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) ने कुल 17,771 करोड़ रुपये (करीब 2.65 अरब डॉलर) निकाले हैं। इसमें से 4,830 करोड़ रुपये इक्विटी बाजार से और 12,947 करोड़ रुपये डेट मार्केट से निकाले गए।
म्यूचुअल फंड के प्रति निवेशकों का बढ़ा आकर्षण: निवेशकों के बीच म्यूचुअल फंड को लेकर आकर्षण लगातार बढ़ रहा है। अप्रैल, 2018 के आखिर तक म्यूचुअल फंड में कुल पोर्टफोलियो की संख्या 7.22 करोड़ के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई। 2017-18 में म्यूचुअल फंड में निवेशकों के 1.6 करोड़, 2016-17 में 67 लाख और 2015-16 में 59 लाख नए खाते जुड़े थे।