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सौ प्रतिशत सीआरआर ने बढ़ाई बैंकों की मुसीबत

नोटबंदी के बाद बाजार में रुपये की तरलता कम करने के लिए आरबीआइ के एक निर्देश ने बैंकों की तरलता को संकट में डाल दिया

By Surbhi JainEdited By: Published: Mon, 02 Jan 2017 10:04 AM (IST)Updated: Mon, 02 Jan 2017 10:20 AM (IST)
सौ प्रतिशत सीआरआर ने बढ़ाई बैंकों की मुसीबत

नई दिल्ली (गजाधर द्विवेदी)। नोटबंदी के बाद बाजार में रुपये की तरलता कम करने के लिए आरबीआइ के एक निर्देश ने बैंकों की तरलता को संकट में डाल दिया। 15 सितंबर से 11 नवंबर तक की कुल जमा धनराशि पर 100 प्रतिशत सीआरआर (कैश रिजर्व रेशियो) जमा करने का निर्देश बैंकों पर भारी पड़ गया। इस अवधि का सीआरआर जमा करने के लिए पूर्वाचल बैंक को एसबीआइ (भारतीय स्टेट बैंक) से 1200 करोड़ रुपये ऋण लेना पड़ा। बैंकों के मुख्यालय ही आरबीआइ में सीआरआर जमा करते हैं। गोरखपुर में केवल पूर्वाचल बैंक का ही मुख्यालय है।

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नोटबंदी के बाद नवंबर में आरबीआइ ने यह निर्देश जारी किया कि 15 सितंबर से 11 नवंबर के बीच मांग एवं समय जमा (डिमांड एंड टाइम लाइबिलिटी) पर 100 प्रतिशत सीआरआर जमा करना है। इसके अंतर्गत बचत खाता, चालू खाता एवं फिक्स डिपाजिट आदि लगभग सभी जमा धनराशि आती है। अर्थात इस अवधि में बैंकों में जितनी धनराशि जमा हुई, वह सब आरबीआइ को भेजी जानी थी। इससे बैंकों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार यह संकट सभी बैंकों मेंआया, क्योंकि नोटबंदी के बाद बैंकों में 500 व 1000 के पुराने नोट बड़ी मात्र में जमा हुए। इससे जमा धनराशि में अभूतपूर्व वृद्धि हुई, लेकिन इसका क्रेडिट खातों को नहीं मिल पाया। ये नोट करेंसी चेस्ट मं0 जमा नहीं हो पाए।

बैंकों के पास पर्याप्त रुपये थे, लेकिन उनके खाते खाली थे और आरबीआइ को भेजना था एकाउंट से। इसलिए ऋण लेना मजबूरी थी। इससे बैंकों को जबरदस्त नुकसान हुआ। इस अवधि में जितने रुपये जमा हुए वे आरबीआइ के पास चले गए। इससे बैंकों को बड़े ऋण स्वीकृत करने में दिक्कत आई, जो बैंक की मूल कमाई है। दूसरे नोटबंदी के दौरान बहुत से ऋण खाते पूरा जमा कर बंद कर दिए गए।1 इन खातों के चालू रहने से बैंक को जो ब्याज लाभ होता था, वह बंद हो गया। बैंकों के पास नोट तो पर्याप्त थे, लेकन वे 500 व 1000 के पुराने नोट थे। इससे वे उपभोक्ताओं को निकासी सीमा के अंदर भी पूरा भुगतान कर पाने में असमर्थ हुए। वे अपने ग्राहकों को पूरी तरह संतुष्ट नहीं कर पाए, लोगों का गुस्सा भी इस समय फूट पड़ा। जिससे बैंकों, खासकर पूर्वाचल बैंक की शाखाओं में जमकर बवाल हुआ।

नोटबंदी के बाद से इस बैंक की लगभग एक तिहाई शाखाएं नोट के अभाव में बंद रखनी पड़ीं हैं। नोटबंदी के बाद बैंक की धनराशि में तो बेतहाशा वृद्धि हुई, जो करेंसी चेस्ट में जमा नहीं हो पाई। आरबीआइ का निर्देश आ गया कि 15 सितंबर से 11 नवंबर तक की मांग एवं समय जमा पर 100 प्रतिशत सीआरआर देना है। चूंकि रुपये खातों में क्रेडिट नहीं हो पाए थे, इसलिए ऋण लेना पड़ा। अब हमें इस पर ब्याज देना पड़ रहा है।

क्या है सीआरआर

सीआरआर (कैश रिजर्व रेशियो) आरबीआइ का महंगाई कम करने के उपायों में से एक है। इसके अंतर्गत सभी बैंकों को मांग एवं समय जमा पर न्यूनतम 03 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक धनराशि पाक्षिक आधार पर आरबीआइ के पास रखना होता है। समय-समय पर आरबीआइ इसका प्रतिशत घटाता-बढ़ाता रहता है। जब महंगाई बढ़ने लगती है तो इसका प्रतिशत बढ़ा दिया जाता है और मंदी आने लगती है तो इसका प्रतिशत घटा दिया जाता है। वर्तमान में सीआरआर 04 प्रतिशत है।


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