Move to Jagran APP

देश से ज्यादा है दर्जनभर राज्यों की सालाना आर्थिक विकास दर

हालांकि राजकोषीय घाटे को लेकर इन राज्यों को अभी काफी सतर्कता बरतनी है।

By NiteshEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 11:39 AM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 11:39 AM (IST)
देश से ज्यादा है दर्जनभर राज्यों की सालाना आर्थिक विकास दर
देश से ज्यादा है दर्जनभर राज्यों की सालाना आर्थिक विकास दर

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। दर्जनभर राज्यों की सालाना आर्थिक विकास दर देश की विकास दर से ज्यादा रही है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, बिहार और पश्चिम बंगाल की आर्थिक विकास दर बेहतरीन रही है। पिछले वित्त वर्ष के दौरान 11.3 फीसद के साथ बिहार की विकास दर देश में सबसे ज्यादा रही है। गत वर्ष देश की विकास दर 6.7 फीसद थी। देश की दो प्रमुख रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स और क्रिसिल ने अपनी-अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अधिकांश राज्यों की स्थिति पिछले पांच वर्षो में सुधरी है। हालांकि राजकोषीय घाटे को लेकर इन राज्यों को अभी काफी सतर्कता बरतनी है।

loksabha election banner

इंडिया रेटिंग्स ने कहा है कि राजकोषीय घाटे में सुधार के लक्षण हैं। लेकिन चुनावी साल में अगर राजनीतिक लोक लुभावन नीतियां अपनाई गईं तो इस पर पानी फिर सकता है। खासतौर पर जिस तरह से कई राज्यों में कृषि कर्ज माफी को लागू किया गया है वह अच्छा संकेत नहीं है। यही वजह है कि संस्था ने वर्ष 2018-19 के लिए राज्यों के समग्र राजकोषीय घाटे का अनुमान पूर्व के 2.8 फीसद से बढ़ाकर 3.2 फीसद कर दिया है।

इंडिया रेटिंग्स मानता है कि आम चुनाव के साल में लोक लुभावन नीतियों या अन्य वित्तीय घोषणाओं से मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश होगी। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने किसानों के कर्ज को माफ करने की कुछ योजनाएं लागू की हैं। इनके अलावा झारखंड और तेलंगाना में भी किसानों को राहत देने का एलान किया गया है। पंजाब, कनार्टक, उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र में पहले से ही ऐसा हो रहा है।

क्रिसिल की रिपोर्ट के हिसाब से पिछले पांच वर्षो के औसत आधार पर गुजरात सबसे तेजी से आर्थिक प्रगति करने वाला, महंगाई को बेहतर तरीके से काबू करने वाला और राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने वाला राज्य बना हुआ है। उसके बाद कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, हरियाणा और बिहार का स्थान है। लेकिन बिहार का राजकोषीय घाटा 7.2 फीसद है, जो चिंता का कारण है।

मध्य प्रदेश एक वर्ष के भीतर सातवें स्थान से खिसक कर 10वें स्थान पर चला गया है। अब जबकि वहां की नई सरकार किसानों के कर्ज माफ कर रही है, तो हो सकता है कि इस वर्ष उसकी स्थिति और बिगड़ जाए। दोनों रिपोर्ट में इन राज्यों सरकारों से कहा गया है कि उन्हें तेज विकास दर और अपने राज्य की जनता की बेहतरी के लिए राजस्व बढ़ाने पर ध्यान देना होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.