इस वित्त वर्ष औसत खुदरा मुद्रास्फीति के 4.4 फीसद पर रहने का अनुमान
मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर जिन कारकों का प्रभाव पड़ता है उनमें वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव और तेल की कीमतें प्रमुख हैं
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। चालू वित्त वर्ष में औसत खुदरा मुद्रास्फीति के 4.4 फीसद पर रहने का अनुमान लगाया गया है जो कि पिछले वित्त वर्ष के 3.6 फीसद से ज्यादा है। यह अनुमान कोटक इकोनॉमिक रिसर्च के एक नोट में लगाया गया है।
इस नोट में कहा गया, “उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के वर्ष के दौरान 5 फीसद के स्तर से नीचे रहने का अनुमान है लेकिन घरेलू और वैश्विक मोर्च पर जारी अनिश्चितताएं इसे बढ़ा सकती हैं। हमें वित्त वर्ष 2018-19 में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति के 5 फीसद के दायरे में रहने की उम्मीद है। यह औसतन 4.4 फीसद पर रह सकती है। पिछले वित्त वर्ष में यह 3.6 फीसद पर थी।”
मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर जिन कारकों का प्रभाव पड़ता है उनमें वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव, तेल की कीमतें, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का आगे पड़ने वाला असर और राज्यों में बढ़ा आवास किराया भत्ता (एचआरए) प्रमुख है। इस रिपोर्ट में आगे कहा गया कि कच्चे तेल की स्थायी कीमतें और एमएसपी का आंशिक प्रभाव FY19 में ज्यादा चिंता का विषय नहीं है। नीतिगत दरों के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक के रुख पर रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई बाकी बचे वित्त वर्ष के दौरान नीतिगत दरों में यथास्थिति बरकरार रख सकता है।
इस रिपोर्ट में कहा गया, “ऐसे में जबकि मुद्रास्फीति की गति और मौद्रिक नीति के मूल्यांकन से से एमपीसी शेष वित्त वर्ष (FY19) के लिए अपने रुख को बरकरार रख सकता है। इसके अलावा हम भारतीय रुपये में गिरावट को लेकर भी सतर्क बने हुए हैं।”