देश पर कर्ज 554 अरब डॉलर और विदेशी मुद्रा भंडार है 590 अरब डॉलर, अब कर्ज देने की स्थिति में भारत: अनुराग ठाकुर
वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी संग्रह बताता है कि अर्थव्यवस्था ठीक हो रही है क्योंकि सरकार ने जीवन और अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये सही कदम उठाए हैं। ठाकुर के मुताबिक भारत को निर्णायक नेतृत्व के कारण कोविड-19 के दौरान भी सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) हासिल हुआ।
नई दिल्ली, पीटीआइ। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 590 अरब डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। इस भंडार के साथ अब भारत कर्जदार से कर्जदाता देश बन गया है। वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने शनिवार को कहा कि भारत के पास अभी 590 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है, जो सालभर पहले की तुलना में 119 अरब डॉलर अधिक है।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही देश अब शुद्ध कर्जदाता बन गया है।शुद्ध कर्जदाता होना ऐसी स्थिति को कहा जाता है जब विदेशी मुद्रा भंडार कुल विदेशी कर्ज से अधिक हो जाए। ठाकुर ने कहा कि देश पर अभी 554 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है और हमारे विदेशी मुद्रा भंडार की रकम इससे कहीं अधिक है। देश महामारी के बाद इकोनॉमी में 'वी-शेप' की रिकवरी देख रहा है, जो पिछले चार महीनों के जीएसटी संग्रह से स्पष्ट है।
वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि जीएसटी संग्रह बताता है कि अर्थव्यवस्था ठीक हो रही है क्योंकि सरकार ने जीवन और अर्थव्यवस्था को बचाने के लिये सही कदम उठाए हैं। ठाकुर के मुताबिक भारत को निर्णायक नेतृत्व के कारण कोविड-19 के दौरान भी सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) हासिल हुआ।
जनवरी में देश का जीएसटी संग्रह 1.20 लाख करोड़ रुपये के आसपास रहा है। उन्होंने निर्धारित अवधि में भारत को पांच लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी बन जाने का भरोसा जताया। राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआइएनएल) के विनिवेश प्रस्ताव पर ठाकुर ने कहा कि नीति आयोग की सिफारिशों के आधार पर केंद्र समय-समय पर सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के विनिवेश के बारे में फैसला करेगा।
इस बार का बजट पारदर्शी
वित्त राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा है कि कोरोना संकट के दौर में देश का पहला बजट पारदर्शी और भविष्य-केंद्रित है। देश कोरोना संकट का मजबूती से सामना करते हुए अन्य देशों की अपेक्षा बेहतर हालत में है। जिन्होंने लॉकडाउन नहीं लगाया और जो लगाकर भी बहुत सी जिंदगियां नहीं बचा सके, उन दोनों तरह के देशों का हाल हमारे सामने है। हमने व्यवस्थित तरीके से लॉकडाउन लगाया और नतीजा हम सब जानते हैं।
ठाकुर का कहना था कि सरकार के समक्ष जिंदगियां बचाने की प्राथमिकता थी, जिसके लिए हमने हरसंभव प्रयास किए हैं। इसके साथ ही हमने रोजी-रोटी बचाने का भी पूरा इंतजाम किया। इसी का नतीजा है कि पीपीई किट का आयात करने वाला भारत आज 100 से अधिक देशों में इसका निर्यात कर रहा है।वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने अगले वित्त वर्ष में देश की विकास दर 11 फीसद रहने का अनुमान लगाया है।
शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) ने भी कहा कि इस वर्ष अप्रैल से शुरू हो रहे वित्त वर्ष में देश की विकास दर 10.5 फीसद रहने वाली है। इस हिसाब से कहें तो दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत अकेला है जिसकी विकास दर अगले वित्त वर्ष के दौरान दोहरे अंकों में रहने वाली है। इसकी मुख्य वजह यह है कि कोरोना संकट के दौरान ही पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने आत्मनिर्भर भारत समेत कई आर्थिक पैकेज घोषित किए, जो इकोनॉमी को गति देने के लिए जरूरी थे।