Coronavirus Impact: जनवरी से मार्च के दौरान सात बड़े शहरों में घरों की बिक्री में आई 42 फीसद की गिरावट
एनारॉक के अनुसार कोरोना वायरस के फैलने के डर के कारण इस साल जनवरी से मार्च महीने के दौरान देश के सात बड़े शहरों में घरों की बिक्री में 42 फीसद की गिरावट आई है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। कोरोना वायरस का बेहद बुरा प्रभाव घरों की बिक्री पर भी पड़ा है। हाउसिंग ब्रोकरेज फर्म एनारॉक के अनुसार, कोरोना वायरस के फैलने के डर के कारण इस साल जनवरी से मार्च महीने के दौरान देश के सात बड़े शहरों में घरों की बिक्री में 42 फीसद की गिरावट आई है। इस दौरान सिर्फ 45,200 घरों की ही बिक्री हुई है। कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए बुधवार से पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन शुरू हो गया है। इस दौरान आवश्यक सुविधाओं को छोड़कर सभी औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों सहित सब कुछ बंद रहेगा। इससे घरों की बिक्री में सीधी गिरावट देखी जा सकती है।
25 मार्च तक हुई बिक्री के आंकड़ों के आधार पर दिल्ली-एनसीआर, मुंबई महानगरीय क्षेत्र, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में एक साल पहले की समान अवधि में 78,510 घरों की बिक्री हुई थी। इस तरह तिमाही आधार पर घरों की बिक्री में 24 फीसद की गिरावट आई है। पिछले वित्त वर्ष में 200 करोड़ के करीब टर्नओवर वाली एनारॉक ने बताया कि इस महीने के आखिर तक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के चलते बिक्री अत्यंत कम रहेगी।
एनारॉक के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा, 'इस वैश्विक स्वास्थ्य संकट के बीच यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि देश के सात बड़े शहरों में घरों की बिक्री और नए प्रोजेक्ट्स में सालाना और तिमाही दोनों आधार पर गिरावट देखने को मिलेगी।' उन्होंने आगे कहा, 'मार्च महीनें में देशव्यापी लॉकडाउन के कारण पिछले दो महीनों के मुकाबले घरों की बिक्री और नई लॉन्चिंग में सीधी गिरावट देखने को मिलेगी।'
आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में इस साल जनवरी से मार्च 2020 के बीच घरों की बिक्री में 41 फीसद की गिरावट आई है। इस अवधि में यहां सिर्फ 8,150 घरों की ही बिक्री हुई, जबकि यहां एक साल पहले की समान अवधि में 13,740 घरों की बिक्री हुई थी।
हाउसिंग सेल्स के लगभग स्थिर हो जाने के कारण रियल एस्टेट सेक्टर बुरी तरह प्रभावित है। इसने बिल्डरों के केश फ्लो को भी प्रभावित किया है। प्रोपर्टी डेवलपर्स एंड कंसल्टेंट्स के अनुसार, इससे वे बैंक का लोन चुकाने में डिफॉल्ट होने की तरफ आगे बढ़ रहे हैं। बाजार विश्लेषकों को यह भी डर है कि मौजूदा ग्राहक डेवलपर्स को उनकी इंस्टॉलमेंट चुकाने में देरी कर सकते हैं। इससे वे बैंक लोन पर प्रिंसिपल और ब्याज के भुगतान में डिफॉल्ट होने की तरफ आगे बढ़ेंगे।
बाजार विश्लेषकों का कहना है कि सेकेंडरी या री-सेल मार्केट में भी भाव गिर सकते हैं। इस घाटे को कम करने के लिए डेवलपर्स और ब्रोकर्स घर खरीदारों तक पहुंचने के लिए डिजिटल मार्केटिंग को अपना रहे हैं।