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PMC बैंक घोटाले से सबक, अब सहकारी बैंकों पर होगी RBI की सीधी निगरानी

माना जा रहा है कि यह राशि पांच लाख रुपये तक हो सकती है। लेकिन पीएमसी के जमाकर्ताओं को पूरी राशि कब दी जाएगी इस पर वित्त मंत्री ने स्पष्ट कुछ नहीं कहा।

By NiteshEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 10:42 AM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 10:42 AM (IST)
PMC बैंक घोटाले से सबक, अब सहकारी बैंकों पर होगी RBI की सीधी निगरानी
PMC बैंक घोटाले से सबक, अब सहकारी बैंकों पर होगी RBI की सीधी निगरानी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पंजाब एंड महाराष्ट्र कॉपरेटिव (पीएमसी) बैंक में हुए घोटाले से सबक लेते हुए केंद्र सरकार जल्द सहकारी बैंकों के नियमन संबंधी कानूनों में बड़े बदलाव करने जा रही है। इसके तहत एक साथ कई राज्यों में कारोबार करने वाले सहकारी बैंकों के नियमन का अधिकार सीधे आरबीआइ को सौंपे जाने की तैयारी है। इसके लिए सरकार को कई संबंधित कानूनों में बदलाव करना होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाताओं के साथ अनौपचारिक वार्ता में बताया कि इस काम में ज्यादा देरी नहीं की जाएगी बल्कि अगले सप्ताह शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में ही संबंधित संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा। इसके साथ ही वित्त मंत्री ने बताया कि बैंकों में जमा राशि रखने वाले ग्राहकों के हितों की रक्षा करने के लिए उनकी जमा राशि पर बीमा की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाने का प्रस्ताव भी सरकार तैयार कर रही है।

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हालांकि यह सीमा क्या होगी, इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया। माना जा रहा है कि यह राशि पांच लाख रुपये तक हो सकती है। लेकिन पीएमसी के जमाकर्ताओं को पूरी राशि कब दी जाएगी, इस पर वित्त मंत्री ने स्पष्ट कुछ नहीं कहा। उन्होंने बताया कि सरकार लगातार आरबीआइ के साथ संपर्क में है। हमारी कोशिश है कि पीएमसी के हर ग्राहक को उसकी पूरी राशि जल्द से जल्द मिले। लेकिन कई तथ्यों से समस्या आ रही है क्योंकि अब अदालत में भी मामला है। मेरी बात आरबीआइ गवर्नर से भी लगातार हो रही है। हम इस विकल्प पर भी कर रहे हैं कि प्रवर्तकों की परिसंपत्तियों को बेचकर किस तरह से ग्राहकों का भुगतान किया जाए। हम यह निश्चित करना चाहते हैं देश में दूसरा पीएमसी ना हो।जब से पीएमसी घोटाला आया है तभी से सहकारी बैंकों के नियमन को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

खास तौर पर कई राज्यों में बैंकिंग सेवा देने वाले सहकारी बैंकों के नियमन में कई तरह के झोल सामने आए हैं। इनमें प्रमुख यह है कि इन पर आरबीआइ और राज्यों के कानून लागू होते हैं और इस दुविधा में इनकी एक बैंक की तरह निगरानी नहीं हो पाती। माना जा रहा है कि सरकार अब सीधे तौर पर इनकी निगरानी की जिम्मेदारी आरबीआइ को दे देगी। वित्त मंत्री ने बताया कि जल्द ही इस बारे में संबंधित कानून का प्रस्ताव कैबिनेट में स्वीकृति के लिए पेश किया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो सहकारी बैंक दूसरे वित्तीय सेक्टर होंगे जिनकी जिम्मेदारी आरबीआइ को सौंपी जा रही है। 


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