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आर्थिक मंदी पर विपक्ष ने राज्यसभा में की सरकार की घेरेबंदी, कहा- नोटबंदी और त्रुटिपूर्ण जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को किया ध्वस्त

आर्थिक विकास दर में लगातार आ रही गिरावट से साफ है कि सरकार के पास पूंजीगत निवेश के लिए भी संसाधन की गंभीर चुनौती है।

By NiteshEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 08:38 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 08:33 AM (IST)
आर्थिक मंदी पर विपक्ष ने राज्यसभा में की सरकार की घेरेबंदी, कहा- नोटबंदी और त्रुटिपूर्ण जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को किया ध्वस्त
आर्थिक मंदी पर विपक्ष ने राज्यसभा में की सरकार की घेरेबंदी, कहा- नोटबंदी और त्रुटिपूर्ण जीएसटी ने अर्थव्यवस्था को किया ध्वस्त

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यसभा में विपक्षी दलों ने अर्थव्यवस्था की खराब हालत पर सरकारी आंकड़ों के ही सहारे ही सरकार की जमकर घेरेबंदी की। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने आर्थिक मंदी से लोगों की बढ़ रही कठिनाई के साथ लगातार घटती नौकरियों से गहराते संकट को लेकर भी सरकार पर हमला बोला। राज्यसभा में देश की आर्थिक स्थिति पर बहस की शुरूआत करते हुए कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि सभी मानकों पर अर्थव्यवस्था गहरे संकट में दिखाई दे रही है। आर्थिक मंदी का यह असर चौतरफा है और आलम यह है कि आम लोगों के लिए रोजाना की जरूरी चीजें खरीदना कठिन हो गया है क्योंकि उनके पास पैसे नहीं है।

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औद्योगिक उत्पादन से लेकर ढांचागत क्षेत्र के विकास की गति लगभग ठप है। निर्यात निरंतर घट रहा है और भारत का व्यापार घाटा चिंताजनक असंतुलन की स्थिति में पहुंच चुका है। शर्मा ने कहा कि विदेशी ही नहीं अपने देश के कारोबारियों का विश्वास सरकार की नीतियों और अर्थव्यवस्था में इस तरह टूट गया है कि लोग निवेश नहीं कर रहे। इन हालातों की वजह से नई नौकरियां नहीं पैदा हो रही बल्कि उलटे मौजूदा लाखों लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। अकेले टेक्सटाइल और आटोमोबाइल सेक्टर में 25 लाख लोगों की नौकरियां पिछले कुछ समय में छीन गई हैं। आर्थिक विकास दर में लगातार आ रही गिरावट से साफ है कि सरकार के पास पूंजीगत निवेश के लिए भी संसाधन की गंभीर चुनौती है।

आर्थिक मंदी के इस हालत के लिए कांग्रेस नेता ने नोटबंदी के साथ जीएसटी के त्रुटिपूर्ण कार्यान्वयन को जिम्मेदार ठहराते हुए सरकार की अर्थनीति पर सवाल उठाया। उनका कहना था कि सबसे चिंता की बात यह है कि सरकार आर्थिक मंदी की इस हकीकत को स्वीकार करने के लिए ही तैयार नहीं है। जबकि सच्चाई यह है कि नोटबंदी और जीएसटी की खामियों के दोहरे प्रहार ने छोटे व मध्यम कारोबार को लगभग तबाह कर दिया है। वित्तीय प्रबंधन की खामियों पर सवाल उठाते हुए शर्मा ने कहा कि सरकार चाहे तीन फीसद सकल घाटे का आकलन करे मगर सच्चाई यह है कि सरकारी बिलों के लंबित भुगतान को शामिल कर लिया जाए तो वित्तीय घाटा सात से आठ फीसद है।

कारपोरेट टैक्स में करीब डेढ लाख करोड रूपये की छूट पर सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि उद्योग जगत इस राशि का निवेश में उपयोग नहीं करेंगे बल्कि अपना कर्ज चुकाने में इस्तेमाल करेंगे जिसका फायदा आमलोगों को नहीं मिलने वाला। तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओब्रायन ने कहा कि अर्थव्यवस्था की मंदी के चलते करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं। इसीलिए सरकार को इधर-उधर की बातें छोड़ आर्थिक हालत सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि आर्थिक कुप्रबंधन के लिए सीधे पीएम मोदी जिम्मेदार हैं क्योंकि नोटबंदी व जीएसटी ही नहीं सभी फैसले खुद पीएम करते हैं। लाभकारी सरकारी नवरत्‍‌न कंपनियों के विनिवेश पर निशाना साधते हुए दिग्विजय ने कहा कि जिन्हें आधुनिक भारत कामंदिर कहा जाता है, उन्हें सरकार बेच रही है। विपक्षी के तमाम अन्य दलों के नेताओं ने भी आर्थिक मंदी पर चिंता जाहिर करते हुए सरकार को हालात तुरंत काबू में लाने की नसीहत दी।


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