दिवालिया प्रक्रिया में फंसी कंपनियों को मिलेगी आयकर में राहत
विभाग ने कहा है कि आंकलन वर्ष 2018-19 (वित्त वर्ष 2017-18) से दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रहीं कंपनियों के लिए इस नियम में रियायत दी गई है
नई दिल्ली (पीटीआई)। दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रहीं कंपनियों को आयकर विभाग ने न्यूनतम वैकल्पिक कर यानी मैट के मामले में राहत दी है। आयकर कानून के सेक्शन 115जेबी के अनुसार पिछले वर्षो के घाटे या बकाए डेप्रिसिएशन (इसमें से जो भी कम हो) को समायोजित करने के बाद कंपनियों को होने वाले मुनाफे पर मैट देना होता है।
विभाग ने कहा है कि आंकलन वर्ष 2018-19 (वित्त वर्ष 2017-18) से दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रहीं कंपनियों के लिए इस नियम में रियायत दी गई है। इंसॉल्वेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) के तहत अगर किसी कंपनी के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई का आवेदन सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकार कर लिया गया है तो उसे अपने पिछले वर्षो के घाटे और बकाया डेप्रिसिएशन दोनों को अपने लाभ में से घटाने की अनुमति होगी। अगर इन दोनों को निकालने के बाद कंपनी को लाभ होगा तो उसे टैक्स भरना होगा।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि ऐसी कंपनियों की वाजिब दिक्कतें कम करने के इरादे से यह रियायत दी गई है। तमाम कंपनियों से फंसे कर्ज (एनपीए) की वसूली के लिए बैंक बकाएदार कंपनियों के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू करने के लिए नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) में आवेदन कर रहे हैं। बैंक कई डिफॉल्टरों के मामलों में पहले ही इस तरह का आवेदन कर चुके हैं। एनसीएलटी ने कुछ मामलों में आवेदन स्वीकार करके दिवालिया प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। सरकार द्वारा पिछले साल आइबीसी को लागू किए जाने के बाद बैंकों ने डिफॉल्टर कंपनियों से एनपीए की वसूली के लिए नए सिरे से प्रयास शुरू किए हैं।