जबरन आधार मांगने पर कंपनियों के खिलाफ लगेगा 1 करोड़ रुपये का जुर्माना, जाना पड़ सकता है जेल
सरकार इसके लिए टेलीग्राफ अधिनियम, धनशोधन निरोधक कानून और आधार अधिनियम में संशोधन करेगी।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। टेलिकॉम कंपनियां और बैंक पहचान पत्र के रूप में आधार पर जोर दे रही हैं। चाहें ग्राहकों को मोबाइल कनेक्शन लेना हो, अपने पासपोर्ट या राशन कार्ड का उपयोग करने के लिए खाता खोलना हो हर जगह आधार की मांग की जारी है। लेकिन अब कंपनियां जबरन आधार डाटा मांगती हैं तो एक करोड़ रुपए का जुर्माना और दस साल के कठोर कारावास की सजा हो सकती है।
सोमवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की ओर से संशोधन का उल्लंघन करने पर जुर्माने का प्रस्ताव रखा गया। इस पर सरकारी सूत्रों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार को लेकर कुछ सुझाव रखे थे। उसी के अनुरूप सरकार ने कुछ कानूनी उपाय करने का फैसला किया है। सरकार इसके लिए टेलीग्राफ अधिनियम, धनशोधन निरोधक कानून और आधार अधिनियम में संशोधन करेगी।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, "आधार एक ऐसा प्लेटफार्म है जो सुशासन को बढ़ावा देता है। यह संशोधन सुरक्षा और गोपनीयता की रक्षा करेगा। 18 साल की उम्र में ऑप्ट-आउट विकल्प के मामले में सहमति के लिए नियम निर्धारित किए गए हैं। कोर बॉयोमीट्रिक्स के साथ किसी भी तरह के छेड़छाड़ के लिए सख्त दंड का प्रावधान है।
मिली जानकारी के अनुसार, आधार बॉयोमीट्रिक बेस सुरक्षित है और इलेक्ट्रॉनिक ऑथेंटिकेशन प्रोसेस का उपयोग कर एजेंसियों की ओर से इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है, लेकिन डाटा का दुरुपयोग करने की कोशिश करने पर 50 लाख रुपये और 10 साल तक जेल का प्रावधान है। सरकार के कदम का उद्देश्य निजी फर्मों को आधार आधारित ऑथेंटिकेशन है।
आधार कानून में संशोधन के अनुसार सत्यापन या आफलाइन सत्यापन के लिये सहमति प्राप्त करने में विफल रहने पर जुर्माना शामिल है। इसमें तीन साल तक की जेल या 10,000 रुपये तक जुर्माना शामिल है। इसके अलावा मुख्य बायोमेट्रिक सूचना के अनधिकृत उपयोग के लिये 3 से 10 साल तक की जेल और 10,000 रुपये तक का जुर्माना का सुझाव दिया गया है।