Move to Jagran APP

#बजट2017: देश का आम बजट 1 फरवरी को, वित्त मंत्री से इनकम टैक्स में राहत की उम्मीद

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त वर्ष 2017 का आम बजट 1 फरवरी को पेश करेंगे। ऐसे में जब देश के आम बजट को कुछ ही दिन शेष हैं, लोगों की इस बजट से उम्मीदें और बढ़ने लगी हैं।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 12 Jan 2017 11:42 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jan 2017 04:31 PM (IST)
#बजट2017: देश का आम बजट 1 फरवरी को, वित्त मंत्री से  इनकम टैक्स में राहत की उम्मीद
#बजट2017: देश का आम बजट 1 फरवरी को, वित्त मंत्री से इनकम टैक्स में राहत की उम्मीद

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली वित्त वर्ष 2017 का आम बजट 1 फरवरी को पेश करेंगे। ऐसे में जब देश के आम बजट को कुछ ही दिन शेष हैं, लोगों की इस बजट से उम्मीदें और बढ़ने लगी हैं। लेकिन इन तमाम उम्मीदों के बीच एक उम्मीद कॉमन है और वो इनकम टैक्स का स्लैब बढ़ाकर बड़ी राहत मिलना है। वित्तीय कर सलाहकार फर्म डेलायट की ओर से हाल ही में कराए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि आम बजट में आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जाना चाहिए।

loksabha election banner

देश की अधिकांश जनता की अपेक्षा है कि केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली को 2017-18 के बजट में आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये और धारा 80 सी के तहत कटौती की सीमा को बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये करना चाहिए। इस सर्वे में शामिल लोगों ने आयकर छूट की सीमा बढ़ाए जाने की बात की।

क्या कहता है डेलायट का सर्वे:

बजट पूर्व उम्मीदों पर इस सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि छूट बढ़ने से उपभोक्ताओं के हाथ में ज्यादा पैसा आएगा और बाजार में खरीद बढ़ेगी। साथ ही टैक्स स्लैब की सीमा ऊंची होने से बचत को प्रोत्साहन मिलेगा और वित्तीय प्रणाली में निवेश आएगा।

आयकर छूट की सीमा बढ़ाने के पक्ष में नहीं नीति आयोग:

भले ही डेलायट ने यह बात कही है, लेकिन नीति आयोग आयकर छूट की सीमा ढाई लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने के पक्ष में नहीं है। आयोग के अधिकारियों का मानना है कि आयकर छूट की मौजूदा सीमा को बरकरार रखने से करदाताओं का आधार बढ़ाने में मदद मिलेगी।

सूत्रों ने कहा कि नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पानगड़िया ने यह सुझाव दिया है। उनका यह भी कहना है कि ढ़ाई लाख रुपये से पांच लाख रुपये के स्लैब को बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया जाए। फिलहाल ढ़ाई से पांच लाख तक की सालाना आमदनी 10 प्रतिशत टैक्स दर के दायरे में आती है। पांच लाख रुपये से अधिक आय पर 20 प्रतिशत की दर से आयकर देना होता है। उन्होंने सुझाव दिया है कि 10 लाख से अधिक की आय पर कर की दर मौजूदा 30 फीसदी के स्थान पर महज 25 फीसदी होनी चाहिए।

आयकरदाताओं के आधार को बढ़ाने के लिए यह सिफारिश की गई है। करदाता आधार बढ़ाने की जरूरत इसलिए है, क्योंकि अभी कुछ ही लोग आयकर देते हैं। वित्त मंत्रलय के अनुसार 125 करोड़ की आबादी वाले देश में वित्त वर्ष 2015-16 में मात्र 3.7 करोड़ करदाताओं ने ही आयकर रिटर्न दाखिल किया। इसमें से भी 99 लाख करदाता ऐसे थे, जिनकी सालाना आय ढ़ाई लाख रुपये से कम थी। इसलिए उन्होंने टैक्स नहीं दिया। वहीं 1.95 करोड़ करदाताओं ने अपनी आय पांच लाख रुपये से कम बताई।

52 लाख करदाताओं ने वार्षिक आय पांच से 10 लाख रुपये के बीच दिखाई है। सिर्फ 24 लाख करदाता ऐसे हैं, जिन्होंने 10 लाख रुपये से अधिक सालाना आय घोषित की। ऐसे में कर आधार बढ़ाने की जरूरत है। आर्थिक समीक्षा में भी इस बात की सिफारिश की गई थी कि सरकार को आयकर से छूट की सीमा को नहीं बढ़ाना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.