अपनी साख बचाने के लिए अब भारतीय बाजार की ओर देख रही चीनी कंपनी Huawei
इधर भारत में डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने की मंशा रखने वाले नरेंद्र मोदी फिर से सरकार बना चुके हैं। अब देखना यह है कि हुआवे के प्रति उनका क्या दृष्टिकोण होता है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। चीन और अमेरिका के ट्रेड वार के बीच पिस रही चीन की टेलीकॉम कंपनी हुआवे अपनी साख बचाने और नुकसान को कम करने की कोशिश में लगी है। एक भरोसेमंद स्मार्टफोन निर्माता कंपनी और 5जी कंपनी के रूप में अपनी खोई साख को फिर से हासिल करने के लिए कंपनी अपने भारतीय कारोबार की ओर देख रही है। इधर भारत में डिजिटाइजेशन को बढ़ावा देने की मंशा रखने वाले नरेंद्र मोदी फिर से सरकार बना चुके हैं। अब देखना यह है कि हुआवे के प्रति उनका क्या दृष्टिकोण होता है। हुआवे पर अमेरिका में प्रतिबंध लग चुका है।
हुआवे के अनुमान के मुताबिक 2025 तक दुनियाभर में 5जी उपयोगकर्ताओं की संख्या 2.8 अरब तक पहुंच जाएगी। अमेरिका में प्रतिबंध लगने के बाद कंपनी अब इस मोर्चे पर होने वाली नुकसान की भरपाई भारतीय बाजार से करना चाहती है। सीएमआर के इंडस्ट्री इंटेलीजेंस ग्रुप के प्रमुख प्रभु राम ने कहा कि अन्य कई देशों में जहां हुआवे को विपरीत स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, वहीं भारत हुआवे के लिए एक बड़ा और सकारात्मक बाजार बन सकता है। 5जी एक पूरी तरह से नया क्षेत्र है। देश में 5जी को लागू करने से पहले सरकार को कई बातों पर विचार करना होगा। इसके लिए भारत को हुआवे सहित कई कंपनियों की मदद लेनी होगी। भारत 2020 तक 5जी लागू करना चाहता है, लेकिन सरकार ने अभी तक 5जी परीक्षण के लिए भी कंपनियों को 5जी स्पेक्ट्रम आवंटित नहीं किया है।
ट्रंप ने हुआवे और 5जी पर ब्रिटेन को किया सतर्क
लंदन का दौरा शुरू करने से पहले प्रकाशित एक साक्षात्कार में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिटेन से कहा है कि वह अपने 5जी नेटवर्क में चीन की कंपनी हुआवे को शामिल करने को लेकर बेहद सतर्कता बरते। ट्रंप ने कहा कि आपके पास दूसरे विकल्प हैं। हमें राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बेहद सतर्क रहना चाहिए। अमेरिका लंबे समय से संदेह जताता रहा है कि पर्दे के पीछे से हुआवे का संचालन चीन की सरकार करती है। इस बात का हालांकि कंपनी और चीन की सरकार विरोध करती रही है।
खुला हुआ है अमेरिका से वार्ता का द्वार: चीन
चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंघी ने रविवार को कहा कि अमेरिका के साथ वार्ता के लिए चीन का द्वार खुला हुआ है। लेकिन यदि अमेरिका युद्ध करना चाहता है, तो चीन आखिरी दम तक युद्ध करेगा। आइआइएसएस शांगरी-ला वार्ता में उन्होंने यह भी कहा कि हुआवे सैन्य कंपनी नहीं है। उन्होंने थियानआनमेन चौक पर 30 साल पहले हुए नरसंहार के मामले में भी चीन का बचाव किया, जिसमें चीन की सेना ने टैंक का इस्तेमाल किया था।
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