चीन को बदलनी होगी निर्यात से विकास की नीति
चीन की अकादमिक कमेटी नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म कमीशन के पूर्व महासचिव झांग यानशेंग ने कहा है कि संरक्षणवाद बढ़ने से निर्यात मुश्किल होता जा रहा है
नई दिल्ली (पीटीआई)। पिछले तीन दशक तक निर्यात के दम पर आर्थिक विकास की छलांग लगा रहे चीन को अपनी नीतियां बदलनी पड़ सकती हैं। दुनिया के सबसे बड़े निर्यातक चीन को अगले पांच से 10 साल में व्यापार घाटा का सामना करना पड़ेगा। बढ़ते आयात को देखते हुए चीन के एक पूर्व अधिकारी ने यह बात कही है।
चीन की अकादमिक कमेटी नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफॉर्म कमीशन के पूर्व महासचिव झांग यानशेंग ने कहा है कि संरक्षणवाद बढ़ने से निर्यात मुश्किल होता जा रहा है। हांगकांग के समाचार पत्र साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट से झांग ने कहा, ‘अगला चरण है खुली अर्थव्यवस्था। इसमें संतुलित व्यापार केंद्र में रहेगा। बड़ी वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में आयात बढ़ाना चीन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।’ चीन के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल चीन के आयात-निर्यात का संयुक्त आंकड़ा 14.2 फीसद बढ़कर 27.79 लाख करोड़ युआन (करीब 273.5 लाख करोड़ रुपये) पहुंच गया। इसमें निर्यात 10.8 फीसद बढ़कर 15.33 लाख करोड़ युआन (करीब 151 लाख करोड़ रुपये) और आयात 18.7 फीसद बढ़कर 12.46 लाख करोड़ युआन (करीब 122.6 लाख करोड़ रुपये) के स्तर पर रहा।
आंकड़ों से स्पष्ट है कि चीन का निर्यात अभी उसके आयात से ज्यादा है, लेकिन इनका अंतर तेजी से कम हो रहा है। 2017 में यह अंतर 14.2 फीसद की दर से सिकुड़कर 2.87 लाख करोड़ युआन (करीब 28.25 लाख करोड़ रुपये) पर पहुंच गया। 2016 में इसमें 9.1 फीसद की कमी आई थी और यह अंतर 3.35 लाख करोड़ युआन (करीब 32.96 लाख करोड़ रुपये) रहा था। यह स्थिति बनी रही तो अगले कुछ साल में आयात का स्तर निर्यात को पार कर जाएगा।
संतुलित हो रहा है भारत-चीन व्यापार
भारत और चीन के बीच व्यापार में संतुलन आ रहा है। यह सुधार भारत के पक्ष में है। उद्योग संगठन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। संगठन के प्रेसीडेंट अनिल खेतान ने कहा कि पिछले कुछ महीनों में भारत की ओर से निर्यात तेजी से बढ़ा है। वहीं, भारतीय बाजार में चीनी वस्तुओं के आने की गति धीमी हुई है। अक्टूबर, 2017 में भारत का निर्यात 72 फीसद बढ़ा, वहीं चीन की ओर से निर्यात में केवल 4.2 फीसद की वृद्धि हुई। अप्रैल, 2017 में स्थित इससे काफी अलग थी। अप्रैल में भारत की ओर से निर्यात 40 फीसद बढ़ा था, जबकि चीन की ओर से निर्यात में 65 फीसद की बढ़ोतरी हुई थी। चीन से होने वाले कारोबार में भारत का व्यापार घाटा भी अप्रैल, 2017 के 492 करोड़ डॉलर (करीब 31,289 करोड़ रुपये) से घटकर अक्टूबर, 2017 में 460 करोड़ डॉलर (करीब 29,254 करोड़ रुपये) रहा।