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चावला समिति की सिफारिशों पर मंत्रालयों में जम रही धूल

नई दिल्ली। [जयप्रकाश रंजन]। भ्रष्टाचार के खिलाफ जनांदोलन कमजोर होते ही इस पर रोक लगाने की सरकारी कोशिशें भी धीमी हो गईं। कुछ महीने पहले तक अशोक चावला समिति की जिन सिफारिशों को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अहम कदम बताया जा रहा था, वे आज मंत्रालयों में धूल खा रही हैं। कहने को कागजों में समिति के

By Edited By: Published: Mon, 10 Dec 2012 08:17 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
चावला समिति की सिफारिशों पर मंत्रालयों में जम रही धूल

नई दिल्ली। [जयप्रकाश रंजन]। भ्रष्टाचार के खिलाफ जनांदोलन कमजोर होते ही इस पर रोक लगाने की सरकारी कोशिशें भी धीमी हो गईं। कुछ महीने पहले तक अशोक चावला समिति की जिन सिफारिशों को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अहम कदम बताया जा रहा था, वे आज मंत्रालयों में धूल खा रही हैं। कहने को कागजों में समिति के 81 में से 69 सुझाव स्वीकार किए जा चुके हैं, मगर अधिकांश सिफारिशों को लागू नहीं किया गया है।

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चावला समिति का गठन पिछले वर्ष की शुरुआत में तब किया गया था, जब देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे और बाबा रामदेव की अगुआई में जन आंदोलन की शुरुआत हुई थी। सरकार ने कहा था कि कोयला, स्पेक्ट्रम, जमीन, पेट्रोलियम सहित तमाम तरह की प्राकृतिक संपदा के आवंटन की नीति इस समिति के सुझावों के आधार पर तय की जाएगी। समिति ने समय पर अपनी रिपोर्ट भी दे दी। सरकार ने भी तब तेजी दिखाई और भ्रष्टाचार पर गठित मंत्रियों के समूह [जीओएम] ने इसकी 69 सिफारिशों को स्वीकार कर लिया। इन्हें लागू करने के लिए संबंधित मंत्रालयों के सचिवों को मिलाकर एक समिति गठित की गई। आवश्यक कदम उठाने के निर्देश संबंधित मंत्रालयों को दिए गए, लेकिन आज आठ महीने बीत जाने के बावजूद अधिकांश मंत्रालय इन सिफारिशों पर चुप्पी साधे हुए हैं।

सूत्रों के मुताबिक चावला समिति की सबसे प्रमुख सिफारिश [हर प्राकृतिक संसाधन का आवंटन सिर्फ खुली निविदा के जरिए हो]] को लेकर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं। 122 सर्किलों में निरस्त 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस दोबारा खुली निविदा के जरिये बेचने की सरकारी कोशिश के फ्लॉप होने के बाद संचार मंत्रालय आने वाले दिनों में किसी और तरीके से स्पेक्ट्रम आवंटित करने के संकेत दे चुका है। सरकार मान रही है कि इस बारे में प्रेसिडेंशियल रिफरेंस पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी आने के बाद वह खुली निविदा के अलावा अन्य विकल्प भी आजमा सकती है।

लगभग 56 कोयला ब्लॉकों की नीलामी खुली निविदा के जरिये करने की तैयारी में जुटे कोयला मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी अभी से यह मानकर चल रहे हैं कि उनकी कोशिश ज्यादा कामयाब नहीं होगी। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, 'कौन आएगा खुली निविदा के तहत कोयला ब्लॉक लेने। कोल ब्लॉक लेने के बाद उसे केंद्र व राज्य सरकारों की कम से कम दो दर्जन एजेंसियों से मंजूरी लेनी होगी। ऐसे में कोयला ब्लॉक की निविदा प्रक्रिया का हश्र भी हाल की स्पेक्ट्रम नीलामी की तरह हो सकता है।'ं कोयला मंत्रालय के लिए समिति ने 11 सिफारिशें कीं, जिनमें से पांच को जीओएम ने फौरन स्वीकार कर लिया था। लेकिन इन पर अमल होने में अभी देरी है।

भूमि आवंटन के संबंध में समिति ने 16 सिफारिशें दी थीं। जीओएम ने 13 को तुरंत स्वीकार कर लिया था। इनमें से अधिकांश सिफारिशों को लागू करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय, वित्ता मंत्रालय समेत आधे दर्जन मंत्रालयों केबीच तालमेल चाहिए।

चावला समिति की प्रमुख सिफारिशें

कोयला

1. कोयला ब्लॉकों को भूमि अधिग्रहण व वन विभाग की मंजूरी जल्द मिलेगी

2. देश में उपलब्ध कोयला भंडार का आकलन और इसके आधार पर बने कोयला आयात की स्पष्ट नीति

भूमि

1. देश में उपलब्ध तमाम जमीन का केंद्रीय व पारदर्शी डाटा बैंक बनाना

2. सरकारी जमीन बेचने या उसे आवंटित करने की एक समग्र, लेकिन पारदर्शी नीति तैयार करना

3. हाउसिंग क्षेत्र के लिए नियामक निकाय का गठन

4. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में स्थित सभी भू-संपदा का केंद्रीय बैंक बने

वन

1. देश की वन संपदा का सही तरह से वर्गीकरण हो, ताकि आवेदन के समय स्वीकृति मिलने में लगने वाले समय का हो अंदाजा

2. राज्यों के वन विभागों को वन संपदा के बारे में सूचना साझा करने और सुधार करने के लिए तैयार करना

3. वन संबंधी मंजूरी देने वाली बैठकों की पूरी जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध कराना


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