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लचर प्रदर्शन करने वाली केंद्रीय योजनाएं हो सकती हैं बंद

कंपनी को कहा गया है कि वह एक संपूर्ण बिजली कंपनी के तौर पर आगे बढ़े। इसमें सरकार की तरफ से हरसंभव मदद दी जाएगी।

By NiteshEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 06:16 PM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 06:16 PM (IST)
लचर प्रदर्शन करने वाली केंद्रीय योजनाएं हो सकती हैं बंद
लचर प्रदर्शन करने वाली केंद्रीय योजनाएं हो सकती हैं बंद

नई दिल्ली, आइएएनएस। लचर प्रदर्शन करने वाली कुछ योजनाओं को केंद्र सरकार ठंडे बस्ते में डाल सकती है। एनके सिंह की अध्यक्षता वाला 15वां वित्त आयोग इस महीने के अंत तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगा। वित्त आयोग ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं का उनके प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन किया है। सूत्रों के मुताबिक खराब प्रदर्शन करने वाली योजनाओं को बंद किया जा सकता है। इसके अलावा एक जैसी दो योजनाओं का विलय भी किया जा सकता है।

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कॉरपोरेट टैक्स में छूट की घोषणा के बाद केंद्र के राजस्व में करीब 1.45 लाख करोड़ रुपये की कमी आने की आशंका है। ऐसे में सरकार खराब प्रदर्शन करने वाली योजनाओं को बंद करके अपने खर्च को काबू में रखने का प्रयास करना चाहेगी। गौरतलब है कि सरकार पहले ही 66 मिलती-जुलती योजनाओं का विलय करके 28 योजनाएं बना चुकी है। वित्त आयोग ने सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं का बारीकी से मूल्यांकन किया है।

संपूर्ण बिजली कंपनी बनने की राह पर एनटीपीसी बढ़ते कदम

राजग सरकार के पहले कार्यकाल (2014-19) में तत्कालीन बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने एनटीपीसी को एक दशक के भीतर एक संपूर्ण बिजली कंपनी बनाने का लक्ष्य रखा था। पिछले बुधवार को दो सार्वजनिक उपक्रमों को एनटीपीसी को सौंपने से इस लक्ष्य को हासिल करने में अब मदद मिलेगी। इन दोनों कंपनियों को खरीदने के लिए एनटीपीसी सरकार को 10 हजार करोड़ रुपये देगी। दोनों कंपनियों के अधिग्रहण के बाद एनटीपीसी की बिजली उत्पादन क्षमता में 2,640 मेगावाट की बढ़ोतरी हो जाएगी। कंपनी की भावी योजना में बिजली वितरण का एक सशक्त नेटवर्क तैयार करना, कुल बिजली उत्पादन में रिन्युएबल क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाना शामिल है, जिन पर तेजी से काम हो रहा है।बिजली मंत्रलय के सूत्रों के मुताबिक विनिवेश कार्यक्रम के तहत टीएचडीसीआइएल व नीपको को एनटीपीसी के हाथों सौंपने का फैसला सरकार की दीर्घकालिक नीति का हिस्सा है।

कंपनी को कहा गया है कि वह एक संपूर्ण बिजली कंपनी के तौर पर आगे बढ़े। इसमें सरकार की तरफ से हरसंभव मदद दी जाएगी। कंपनी की ताप बिजली क्षमता के मुताबिक पर्याप्त कोयला भंडार उपलब्ध कराना, कोयला को उसके प्लांट तक पहुंचाने के लिए ढांचागत सुविधा तैयार करने में भी जिस भी मदद की जरूरत होगी, वह दी जाएगी। सरकार की तरफ से कंपनी को पूरी छूट है कि वह बिजली सेक्टर के जिस भी क्षेत्र में उतरना चाहे, उसमें पूरी मदद दी जाएगी। एनटीपीसी की तरफ से वर्ष 2032 तक 1.30 लाख मेगावाट क्षमता की बिजली कंपनी बनने का रोडमैप तैयार किया गया है। इसमें रिन्युएबल एनर्जी की हिस्सेदारी काफी अहम होगी। एनटीपीसी की कुल बिजली क्षमता अभी 57 हजार मेगावाट की है।

अब इसमें टीएचडीसीआइएल की 1,550 मेगावाट क्षमता जुड़ जाएगी। नीपको की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 1,130 मेगावाट की है। नीपको के पास 755 मेगावाट की पनबिजली क्षमता है। परमाणु ऊर्जा में भी उतरने की इजाजत पहले ही कंपनी हासिल कर चुकी है और इसके लिए एनटीपीसी ने एनपीसीआइएल के साथ समझौता भी किया है। एनटीपीसी ने कुछ वर्ष पहले परमाणु ऊर्जा से 7,000 मेगावाट बिजली बनाने की बात कही थी। अब इसमें प्रगति होने की संभावना है। कंपनी ने जून में पावर ग्रिड कॉरपोरेशन के साथ मिलकर नेशनल इलेक्टिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी का गठन किया है, जो देश के विभिन्न पावर सर्किल में बिजली वितरण का काम शुरू करेगी। इसकी भी विस्तृत योजना जल्द बिजली मंत्रलय को सौंपी जाएगी। 


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