Coronavirus के संकट से इकोनॉमी को बचाने के लिए ब्याज दरों में कटौती कर रहे दुनिया भर के केंद्रीय बैंक
पिछले 24 घंटे में अमेरिका के फेडरल बैंक समेत दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को घटाकर उद्योग जगत को सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने का फैसला किया है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कोरोना के बढ़ते प्रकोप और इकोनॉमी पर उसके संभावित असर को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) नीतिगत ब्याज दरों में कटौती पर विचार कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक आरबीआइ के समक्ष रेपो रेट (जिस दर पर केंद्रीय बैंक अल्पकालिक अवधि के लिए अतिरिक्त राशि बैंकों को उपलब्ध कराता है जिससे होम लोन, पर्सनल लोन आदि की दरें तय होती हैं) में 50 आधार अंकों की कटौती करने का विकल्प है।
वैसे तो आरबीआइ गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति की आगामी बैठक तीन अप्रैल को है। लेकिन जिस तरह से वैश्विक स्तर पर कोशिशें हो रही हैं उसे देखते हुए माना जा रहा है रेपो रेट घटाने का फैसला पहले ही हो जाएगा। आरबीआइ ने पिछले वर्ष रेपो रेट में 135 आधार अंकों की कटौती की थी। अभी यह 5.15 फीसद है।
वर्ष 2008-09 में भी वैश्विक मंदी के समय कुछ हफ्तों में आरबीआइ ने रेपो रेट में 1.50 अंकों की कटौती कर दी थी। इससे उद्योग जगत को सस्ते कर्ज मिलने में सहूलियत हुई थी।कोरोना वायरस से वैश्विक अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान का सही आकलन तो अभी नहीं हुआ है। लेकिन अब सारी एजेंसियां यह मानने लगी हैं कि आने वाले दिनों में दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
यही वजह है कि पिछले 24 घंटे में अमेरिका के फेडरल बैंक समेत दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को घटाकर उद्योग जगत को सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने का फैसला किया है। दूसरी तरफ बुधवार को विश्व बैंक की तरफ से कोरोना प्रभावित देशों के लिए 12 अरब डॉलर (करीब 84,000 करोड़ डॉलर) की मदद का एलान किया गया है। जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने आपातकालीन विचार विमर्श के बाद कहा है कि कोरोना के दुष्प्रभाव से लड़ने के लिए वह अपने सदस्य देशों को हरसंभव मदद को तैयार है।
आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक दिन पहले ही इस बारे में संकेत दिया था कि वह हालात की पूरी चौकस तरीके से निगरानी कर रहे हैं और जरूरत पड़ने पर पहले ही ब्याज दरों को फैसला किया जा सकता है।
विश्व बैंक की तरफ से बताया गया है कि कोरोना वायरस को देखते हुए हर सदस्य देश को मदद देने की तैयारी की जा रही है। शुरुआती मदद के तौर पर 12 अरब डॉलर का कोष गठित किया गया है। इसका इस्तेमाल हेल्थ व आर्थिक सेक्टर पर पड़ने वाले असर को कम करने के लिए किया जाएगा। इसमें से आठ अरब डॉलर की राशि तेजी से वितरित की जाएगी।
विश्व बैंक की सहयोगी एजेंसी आइएफसी की तरफ से कोरोना प्रभावित देशों को कारोबारी कर्ज व वर्किग कैपिटल बढ़ाने के लिए अलग से वित्तीय संसाधन दिए जाएंगे। गरीब देशों को प्राथमिकता के तौर पर मदद पहुंचाई जाएगी। विश्व बैंक की तरह आईएमएफ ने भी कहा है कि वह प्रभावित देशों को अतिरिक्त संसाधन देने को तैयार है। उक्त दोनों एजेंसियां दुनिया की बड़ी आर्थिक शक्तियों के केंद्रीय बैंकों से बात कर रही हैं। आइएमएफ ने मान लिया है कि कोरोना वायरस वैश्विक विकास व प्रगति के खिलाफ एक बड़ी चुनौती है।