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कोरोना वैक्सीन के बाद दूसरा इकोनॉमिक पैकेज संभव, बैंक अधिकारियों के गलत फैसलों से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था चक्रव्‍यूह में फंसी : कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन

वर्तमान सुस्ती के लिए बैंकिंग सेक्टर को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षो में बैंक अधिकारियों द्वारा लिए गए गलत फैसलों की वजह से भारतीय इकोनॉमी चक्रव्यूह में फंस गई है

By Manish MishraEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 08:09 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 08:09 AM (IST)
कोरोना वैक्सीन के बाद दूसरा इकोनॉमिक पैकेज संभव, बैंक अधिकारियों के गलत फैसलों से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था चक्रव्‍यूह में फंसी : कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन
कोरोना वैक्सीन के बाद दूसरा इकोनॉमिक पैकेज संभव, बैंक अधिकारियों के गलत फैसलों से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था चक्रव्‍यूह में फंसी : कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में इकोनॉमी को पैकेज का नया डोज सीधे तौर पर कोरोना वैक्सीन से जुड़ा है। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने इसका संकेत दिया है। उनका मानना है कि कोरोना के लिए वैक्सीन मिलने पर ही इकोनॉमी को फिर से वित्तीय डोज देने का सही समय होगा। इकोनॉमी के लिए वित्तीय पैकेज महत्वपूर्ण है, लेकिन ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि यह पैकेज कब दिया जाता है। उन्होंने वर्तमान सुस्ती के लिए बैंकिंग सेक्टर को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षो में बैंक अधिकारियों द्वारा लिए गए गलत फैसलों की वजह से भारतीय इकोनॉमी चक्रव्यूह में फंस गई है।

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इकोनॉमी को पटरी पर लाने के लिए औद्योगिक संगठनों की तरफ से एक और वित्तीय पैकेज की मांग की जा रही है। सरकार 20.97 लाख करोड़ रुपये का पैकेज पहले ही दे चुकी है। बुधवार को उद्योग संगठन फिक्की के एक कार्यक्रम में सुब्रमणियन ने कहा कि सरकार खपत में बढ़ोत्‍तरी करना चाहती है, लेकिन अभी वित्तीय पैकेज देने का सही समय नहीं है। कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन आ जाने पर लोगों में कोरोना को लेकर डर खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही अनिश्चितता भी खत्म हो जाएगी और अगला वित्तीय पैकेज देने का वही सही समय होगा। उस दौरान लोग खुलकर खर्च करेंगे जिससे मांग में बढ़ोत्‍तरी होगी और आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी। 

पिछले दो सप्ताह से यह कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार जल्द ही दूसरे वित्तीय पैकेज की घोषणा कर सकती है। सुब्रमणियन ने यह भी कहा कि अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में बैंकिंग सेक्टर को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी पड़ेगी। छोटे बैंकों के बूते भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी नहीं बन सकती है। उन्होंने कहा कि दुनिया के टॉप 100 बैंकों की सूची में भारत का सिर्फ एक बैंक है, जबकि चीन के 18 बैंक इस सूची में शामिल हैं। बड़े बैंकों के मामले में भारत अन्य देशों के मुकाबले काफी पीछे है। अधिक से अधिक लोगों को उधार देने में बैंक अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं।

सुब्रमणियन ने सरकारी बैंकों को आपस में डाटा शेयर करने की जरूरत बताई। उन्होंने यह भी कहा कि उधार देने के मामले में ईमानदारी बरतने की जरूरत है और फिनटेक का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इससे इकोनॉमी को प्रोत्साहन मिलेगा।


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