Move to Jagran APP

चीनी मिलों को सरकार बांट रही है रेवड़ी, एक और राहत पैकेज की घोषणा

चुनावी साल में सरकार रेवड़ी बांटने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। धन की कमी से जूझ रहे चीनी उद्योग को लंबी जद्दोजहद के बाद एक और राहत पैकेज देने की घोषणा की गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में कच्ची चीनी के

By Edited By: Published: Thu, 13 Feb 2014 09:36 AM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2014 09:36 AM (IST)
चीनी मिलों को सरकार बांट रही है रेवड़ी, एक और राहत पैकेज की घोषणा

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। चुनावी साल में सरकार रेवड़ी बांटने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। धन की कमी से जूझ रहे चीनी उद्योग को लंबी जद्दोजहद के बाद एक और राहत पैकेज देने की घोषणा की गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीइए) की बैठक में कच्ची चीनी के निर्यात पर 3,333 रुपये प्रति टन सब्सिडी देने का फैसला किया गया। इससे खजाने पर 1,400 करोड़ रुपये का बोझ आएगा।

loksabha election banner

इस राशि से मिलों को गन्ना किसानों का बकाया भुगतान करने में मदद मिलेगी। इससे पहले दिसंबर 2013 में चीनी उद्योग को 6,600 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त कर्ज देने का फैसला किया गया था।

पढ़ें : चीनी को लेकर खाद्य व कृषि मंत्रालय में तनातनी

कृषि मंत्री शरद पवार और खाद्य मंत्री केवी थॉमस के इस पैकेज को नाक का सवाल बना लेने से विवाद गहरा गया था। सीसीईए की पिछली बैठक में इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं हो पाया था। कृषि मंत्रालय ने कच्ची चीनी के निर्यात पर 3,500 रुपये प्रति टन के हिसाब से सब्सिडी देने की वकालत की थी। इसके उलट खाद्य मंत्रालय की ओर से तैयार कैबिनेट नोट में इसे 2,000 रुपये प्रति टन कर दिया गया।

पढ़ें : चाय की प्याली में 'जहरीली' शक्कर

मंगलवार को मंत्रालय ने इसे बढ़ाकर 2,800 रुपये प्रति टन करने का सुझाव दिया था। बुधवार की बैठक में भी दोनों के बीच पैकेज की राशि तय करने की प्रक्रिया को लेकर बहस हुई। बाद में बीच का रास्ता निकाला गया। बैठक के बाद थॉमस ने बताया कि यह पैकेज दो साल के लिए प्रभावी है। मगर सब्सिडी की यह राशि इस साल मार्च तक के लिए ही है। अप्रैल में फिर से इसकी समीक्षा की जाएगी। मिलों को सब्सिडी की यह राशि एस्क्रो अकाउंट के जरिये ही मिलेगी। इस दौरान मिलें 40 लाख टन कच्ची चीनी का निर्यात कर सकेंगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.