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कोरोना से एयरलाइनों के सामने नकदी संकट, 3 महीने चला तो लो कॉस्ट एयरलाइनों को 3500 करोड़ चाहिए होंगे

एजेंसी के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2019 तथा 2020 के दौरान एयरलाइनों को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

By NiteshEdited By: Published: Thu, 26 Mar 2020 08:26 PM (IST)Updated: Fri, 27 Mar 2020 07:34 AM (IST)
कोरोना से एयरलाइनों के सामने नकदी संकट, 3 महीने चला तो लो कॉस्ट एयरलाइनों को 3500 करोड़ चाहिए होंगे
कोरोना से एयरलाइनों के सामने नकदी संकट, 3 महीने चला तो लो कॉस्ट एयरलाइनों को 3500 करोड़ चाहिए होंगे

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना लॉकडाउन के परिणामस्वरूप भारत की तीन लो कॉस्ट एयरलाइनों को 3500 करोड़ रुपये का झटका लग सकता है। इनमें इंडिगो, स्पाइसजेट तथा गो एयर शामिल हैं। रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुताबिक कोराना प्रकोप के चलते पहले से दबाव झेल रही भारतीय एयरलाइनों के समक्ष एक नया संकट खड़ा हो गया है। देशी-विदेशी सारी उड़ाने बंद होने से इन्हें निकट भविष्य में नकदी की कमी से जूझना पड़ेगा। यदि कोरोना पर जल्द काबू नहीं पाया जा सका तथा सामाजिक दूरी के नियम लागू रहे तो एयरलाइनों का सकल पैसेंजर लोड फैक्टर बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। यहां तक कि यदि अगले तीन महीनों में कोविड-19 पर काबू पा भी लिया गया तो भी वायु परिवहन गतिविधियों को सामान्य होने में कुछ वक्त लग सकता है।

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यद्यपि एयर टर्बाइन फ्यूल अथवा एटीएफ के दाम घट गए हैं। परंतु पीएलएफ के साथ विमान किरायों में कमी के कारण कर्ज मिलने में दिक्कत रहेगी। यदि कोरोना तीन महीने में काबू में आ गया तो भी तीनो लो कॉस्ट एयरलाइनों अपने आपरेशंस बहाल करने के लिए 3500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आवश्यकता होगी। परंतु यदि इसका असर एक साल तक रहा तो इन एयरलाइनों को लीज किराये तथा ब्याज की अदायगी के लिए 1450 करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम की जरूरत पड़ सकती है।

एजेंसी ने तीनो भारतीय लो कॉस्ट एयरलाइनों की परफामर्ेंस के अलावा मौजूदा नकदी स्थिति का विश्लेषण किया है। मार्च 2018 में तीनों एयरलाइनों के पास कुल मिलाकर 249 विमानों का बेड़ा था। परंतु दिसंबर, 2019 तक ये पौने दो गुना बढ़कर 436 विमान हो गया था। तीनो एयरलाइनों में इंडिगो देश की सबसे बड़ी एयरलाइन है। इसलिए उसके पास स्पाइसजेट और गो एयर के मुकाबले काफी ज्यादा नकदी उपलब्ध है। लिहाजा इंडिगो पर निकट भविष्य में सबसे कम असर पड़ेगा। परंतु कोरोना की अवधि बढ़ने पर उसके ऊपर भी ब्याज की देनदारी का दबाव बढ़ जाएगा।

एजेंसी के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2019 तथा 2020 के दौरान एयरलाइनों को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ा। इनमें उम्मीद से ज्यादा कमजोर पीएलएफ, तकनीकी खराबियों के कारण समय-समय पर विमानों की ग्राउंडिंग, 2017 के न्यूनतम स्तर के मुकाबले एटीएफ की ऊंची कीमतें शामिल हैं। इससे बैलेंस शीट में नकदी बफर घट जाने से एयरलाइनो के लिए नकदी प्रवाह में कमी से निपटना कठिन हो गया है। इन तीनो लो कॉस्ट एयरलाइनों को छोड़ बाकी एयरलाइनों के पास 04-18 सप्ताह तक की नकदी उपलब्ध है। यदि इनका पीएलएफ लंबे समय तक कम रहा तो इन एयरलाइनों को भी लीज रेंट तथा ब्याज चुकाने के लिए अतिरिक्त धनराशि जुटानी होगी। हालांकि इंडिगो के पास लगभग 63 हफ्तों की नकदी मौजूद है, मगर यदि कोविड-19 का प्रकोप लंबे अरसे तक बना रहा तो पार्किंग शुल्क, कर्मचारियों के वेतन और विमानों के रखरखाव जैसे तयशुदा खर्चो के कारण नकदी का ये बफर भी छह महीनों के भीतर समाप्त हो सकता है।


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