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नई पूंजी से मदद, लेकिन सरकारी बैंकों के कायाकल्प में लगेगा दो साल से अधिक का समय: रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक बैंकी की वित्तीय सेहत में होने वाले तेज सुधार की राह में सबसे बड़ी बाधा एनपीए से जुड़े मामलों का धीमी गति से हो रहा निपटारा है।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Thu, 21 Feb 2019 07:02 PM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 04:21 PM (IST)
नई पूंजी से मदद, लेकिन सरकारी बैंकों के कायाकल्प में लगेगा दो साल से अधिक का समय: रिपोर्ट
नई पूंजी से मदद, लेकिन सरकारी बैंकों के कायाकल्प में लगेगा दो साल से अधिक का समय: रिपोर्ट

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सरकार की तरफ से 12 सरकारी बैंकों को दी गई पूंजीगत मदद से उन्हें अपनी स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी लेकिन बैंकों का पूर्ण कायाकल्प होने में अभी काफी समय लगेगा।

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बुधवार को वित्त मंत्रालय ने 12 कमजोर सरकारी बैंकों को 48,239 करोड़ रुपये की पूंजी दिए का एलान किया। बैंकों को यह रकम इसी वित्त वर्ष में मिलेगी ताकि उन्हें नियामकीय पूंजी के अनिवार्य स्तर को बनाए रखने में मदद मिल सके और विकास की परियोजनाओं की फंडिंग में किसी तरह की दिक्कत न हो।

रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा कि पूंजीगत मदद से बैंकों को सहारा मिला है, 'लेकिन अभी पू्र्ण कायाकल्प होने में काफी समय लगेगा। बुरे कर्ज की वजह से बैंकों के मुनाफे और पूंजीकरण पर असर पड़ेगा, जो उनके कर्ज देने की क्षमता को प्रभावित करेगा'

रिपोर्ट के मुताबिक बैंकी की वित्तीय सेहत में होने वाले तेज सुधार की राह में सबसे बड़ी बाधा एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) से जुड़े मामलों का धीमी गति से हो रहा निपटारा है। एजेंसी ने कहा, 'हालांकि एनसीएलटी में बड़े एनपीए वाले खाते से जुड़े दीवालिया मामले के समाधान की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन इसकी रफ्तार उम्मीद से कम है और पूरी तरह से इस समस्या को खत्म होने में दो सालों से अधिक का समय लगेगा।'

रिपोर्ट बताती है कि किसानों की कर्ज माफी का मसला एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इससे कर्ज लेने वालों को कर्ज नहीं चुकाने की प्रेरणा मिलती है और कृषि कर्ज के क्षेत्र में एनपीए में बढ़ोतरी होती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि नई पूंजी से बैंकों एनपीए की प्रॉविजनिंग में मदद मिलेगी। इसमें कहा गया है, 'हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020 तक सरकारी बैंकों को 20-25,000 करोड़ रुपये की बाह्य पूंजी की जरूरत होगी।'

इस बीच बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के अर्थशास्त्रियों ने कहा कि बैंकों को नई पूंजी मिलने से ब्याज दरों में कमी आएगी।

बुधवार को की गई घोषणा के तहत सरकार कॉरपोरेशन बैंक को 9,086 करोड़ रुपये जबकि इलाहाबाद बैंक को 6,896 करोड़ रुपये देगी।

पूंजीगत मदद का एलान करते हुए वित्तीय मामलों के सचिव ने कहा यह दोनों बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की पीसीए निगरानी में ''बेहतर प्रदर्शन'' कर रहे हैं। इसके अलावा बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र को क्रमश: 4,638 करोड़ रुपये और 205 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इन दोनों बैंक को हाल ही में आरबीआई ने पीसीए की निगरानी सूची से बाहर किया है।

पंजाब नैशनल बैंक को 5,908 करोड़ रुपये जबकि यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 4,112 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। वहीं आंध्र बैंक को 3,256 करोड़ रुपये और सिंडीकेट बैंक को 1,603 करोड़ रुपये मिलेंगे।

पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) में 14,000 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आने के बाद बैंक को भारी धक्का लगा था। हालांकि बैंक ने अब इस नुकसान की भरपाई कर ली है। दिसंबर तिमाही में बैंक ने चौंकाते हुए 246.51 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है। पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले यह 7.12 फीसद अधिक है, जब बैंक ने 230.11 करोड़ रुपये का लाभ कमाया था।

इसके अलावा चार सरकारी बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, यूनाइटेड बैंक, यूको बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक में 12,535 करोड़ रुपये डाले जाएंगे। पिछले साल दिसंबर महीने में सरकार ने सात सरकारी बैंकों में रिकैपिटलाइजेशन बॉन्ड के जरिए 28,615 करोड़ रुपये की पूंजी डाली थी।

गौरतलब है कि पूंजीगत सहायता से बैंकों को अनिवार्य नियामकीय पूंजी के स्तर को बनाए रखने में मदद मिलती है। गौरतलब है कि पिछले महीने ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को पीसीए (प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन) से बाहर कर दिया था।

कुल 21 सरकारी बैंकों में से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 11 बैंकों को पीसीए में डाल दिया था, जिसके बाद इनके लोन देने और नए ब्रांच खोलने पर रोक लग गई थी। पीसीए में डालने की वजह इन बैंकों का बढ़ता एनपीए और घाटा था।

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