केयर्न ने केजी बेसिन में बंदिशों पर जताई निराशा
तेल एवं गैस क्षेत्रों के विकास की बाधाएं दूर करने में सरकार की कोशिशें नाकाम रही हैं। कृष्णा गोदावरी (केजी) बेसिन में रक्षा मंत्रालय की ओर से लगाई गई बंदिशों को लेकर केयर्न इंडिया ने एक बार फिर गहरा असंतोष जताया है। केयर्न के मुताबिक केजी बेसिन स्थित उसके ब्लॉक के ज्यादातर हिस्सों में उत्खनन कार्य अव्यवहारि
नई दिल्ली। तेल एवं गैस क्षेत्रों के विकास की बाधाएं दूर करने में सरकार की कोशिशें नाकाम रही हैं। कृष्णा गोदावरी (केजी) बेसिन में रक्षा मंत्रालय की ओर से लगाई गई बंदिशों को लेकर केयर्न इंडिया ने एक बार फिर गहरा असंतोष जताया है। केयर्न के मुताबिक केजी बेसिन स्थित उसके ब्लॉक के ज्यादातर हिस्सों में उत्खनन कार्य अव्यवहारिक हो गया है। नो गो एरिया घोषित होने से ब्लॉक के केवल 40 फीसद हिस्से में उत्खनन कार्य किया जा सकता है। ऐसे में कंपनी ने इस इलाके को सरकार को वापस करने का फैसला किया है।
निवेश मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीआइ) ने तेल व गैस ब्लॉकों की समस्याएं दूर करने के लिए कुछ सप्ताह पहले ही अहम फैसले लिए थे। सीसीआइ ने मार्च में रिलायंस इंडस्ट्रीज के तीन ब्लॉकों को नो-गो एरिया से बाहर कर दिया था। मगर केयर्न और ओएनजीसी के ब्लॉकों को इसमें बरकरार रखा था। केयर्न ने 26 अप्रैल को तेल मंत्रलय को लिखे पत्र में कहा है कि सीसीआइ के फैसले के बाद उसके ब्लॉक का 35 फीसद हिस्सा नो-गो एरिया में शामिल है। इसके अलावा ब्लॉक का केवल 20 फीसद हिस्सा ही पूरी तरह से क्लियर है। बाकी इलाका हाई रिस्क एरिया घोषित किया गया है जिसमें उत्पादन कार्यो के लिए शर्ते लगाई गई हैं। ब्लॉक का एक चौथाई इलाका दोनों ओर से नो-गो एरिया से घिरा है। अब यहां परिचालन व्यवहार्य नहीं है।
दखल देने से इन्कार
सुप्रीम कोर्ट ने केयर्न इंडिया और वेदांत समूह के हिस्सेदारी बिक्री सौदे को सही ठहराते हुए इसमें दखल देने से इन्कार कर दिया है। अदालत ने कहा है कि केंद्र सरकार और ओएनजीसी ने केयर्न इंडिया की हिस्सेदारी खरीदने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करने से इन्कार कर दिया था। ऐसे में वेदांत समूह को यह हिस्सेदारी बेचना पूरी तरह से वैध कारोबारी फैसला है।