केयर्न टैक्स मामले में फिर टला फैसला, सामने नहीं आई इसकी वजह
केयर्न एनर्जी मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले को एक बार फिर से टाल दिया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुनवाई पूरी होने के एक वर्ष बाद केयर्न एनर्जी मामले में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले को एक बार फिर से टाल दिया है। ब्रिटेन की कंपनी केयर्न ने बताया कि ट्रिब्यूनल से उसे मिली सूचना के मुताबिक 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक के इस टैक्स मामले पर अगले वर्ष फैसला दिया जाएगा। केयर्न ने भारतीय आयकर विभाग द्वारा लगाए गए 10,247 करोड़ रुपये के टैक्स मामले को अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल में चुनौती दी थी।
इससे पहले ट्रिब्यूनल इस मामले में इस वर्ष फरवरी में फैसला सुनाने वाला था। लेकिन बाद में इसे इस वर्ष के अंत तक के लिए टाल दिया गया था। इसे अब एक बार फिर से 2020 के मध्य तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
केयर्न एनर्जी ने अपने वक्तव्य में कहा है कि ट्रिब्यूनल के मुताबिक वह फैसले के लिए कोई निश्चित तिथि नहीं बता सकता, लेकिन यह 2020 की गर्मियों में आने की उम्मीद है। हालांकि, इसमें देरी के पीछे कोई वजह नहीं बताई गई है।
केयर्न एनर्जी ने वर्ष 2006 में कंपनी का आंतरिक पुनर्गठन किया था। उसके बाद उसने 2010-11 में केयर्न इंडिया को वेदांता के हाथों बेच दिया था। वर्ष 2014 में आयकर विभाग ने कंपनी से वर्ष 2006 में हुए पुनर्गठन की जानकारी मांगी। इसके साथ ही विभाग ने केयर्न इंडिया में कंपनी की करीब 10 फीसद हिस्सेदारी भी जब्त कर ली। उसके बाद विभाग ने कंपनी से वर्ष 2006 में हुए पुनर्गठन से हासिल लाभ के खिलाफ पुराने नियमों के आधार पर 10,247 करोड़ रुपये टैक्स की मांग की।
इसके बाद टैक्स विभाग ने बकाया टैक्स के भुगतान के लिए वेदांता में केयर्न एनर्जी के शेयरों को बेच दिया था। केयर्न एनर्जी ने वर्ष 2015 में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की। कंपनी ने कहा है कि उसे अपने दावे पर पूरा भरोसा है और वह अपने नुकसान की पूरी भरपाई चाहती है।