एक देश एक बजट: इस साल अलग से पेश नहीं होगा रेल बजट, आम बजट में विलय पर कैबिनेट की मुहर
केंद्रीय कैबिनेट की मुहर के बाद अब यह तस्वीर साफ हो गई है कि रेल बजट अलग से पेश नहीं किया जाएगा। रेल बजट को आम बजट में मिलाने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
नई दिल्ली: केंद्रीय कैबिनेट की मुहर के बाद अब यह तस्वीर साफ हो गई है कि रेल बजट अलग से पेश नहीं किया जाएगा। रेल बजट को आम बजट में मिलाने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बैठक के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि परंपरा के मुताबिक अब रेल बजट को अलग से पेश करने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई मीटिंग में इस प्रस्ताव को सैद्धांति मंजूरी दी गई है। हालांकि रेलवे के आम बजट में विलय के बाद भी रेलवे का पहले जैसा रुतबा बरकरार रहेगा।
आपको बता दें कि ब्रिटिश रुल के दौरान साल 1924 में रेल बजट को आम बजट से अलग किया गया। कैबिनेट के हालिया फैसले के अब करीब 92 साल के बाद रेलवे बजट आम बजट के साथ पेश किया जाएगा।
क्या-क्या बदल जाएगा
सूत्रों के मुताबिक अगर बजट पेश करने का समय बदलता है तो सरकार अगला बजट सत्र 25 जनवरी 2017 से पहले बुला सकती है। वहीं एक फरवरी से आम बजट पेश होने की संभावना है और इससे ठीक दो दिन पहले आर्थिक समीक्षा पेश की जा सकती है। वहीं जानकारों का मानना है कि रेल बजट को आम बजट में शामिल करने के बाद भी रेलवे की स्वायतता बरकरार रखी जा सकती है। नई ट्रेन चलाने का फैसला और यात्रियों को नई सुविधाएं देने से संबंधित फैसला रेलवे पहले की तरह लेता रहेगा। गौरतलब है कि आम बजट 27 फरवरी (अभी तक के प्रचलन के मुताबिक) को पेश किया जाता है।
सरकार क्यों बदलना चाहती है बजट का समय
दरअसल इस पूरी कवायद के पीछे का मकसद यह है कि सराकर पूरी बजट प्रक्रिया को 24 मार्च से पहले समाप्त करना चाहती है। यानी सरकार विनियोग विधेयक और वित्त विधेयक समेत पूरा बजट 24 मार्च से पहले ही पारित करवाना चाहती है। अभी तक बजट की पूरी प्रक्रिया फरवरी से मई महीने तक खत्म होती है। बजट प्रस्तावों को नया वित्त वर्ष शुरू होने के साथ ही अमल में लाया जा सके इसलिए सरकार बजट की पूरी प्रक्रिया को पूरा करना चाहती है।