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Budget 2023: मिडिल क्लास को समर्पित है इस बार का बजट, हर सेक्टर में मिल रहा फायदा

Budget 2022-23 निर्मला सीतारमण ने बजट पेश कर दिया है और इस बार के बजट को मिडिल क्लास का बजट कहा जा रहा है। इसमें टैक्स स्लैब को बढ़ा दिया गया है और अलग-अलग सेक्टर्स में छूट की लिमिट को भी बढ़ा दिया गया है। (फाइल फोटो)

By Jagran NewsEdited By: Sonali SinghPublished: Thu, 02 Feb 2023 07:59 PM (IST)Updated: Thu, 02 Feb 2023 07:59 PM (IST)
Budget 2023: मिडिल क्लास को समर्पित है इस बार का बजट, हर सेक्टर में मिल रहा फायदा
Budget 2023 is dedicated to the middle class, See Details

नई दिल्ली, असीम चावला। मध्यम वर्ग के लिए नई कर व्यवस्था में बदलाव दिए गए हैं। नई कर प्रणाली अभी तक वैकल्पिक थी जिसे अब डिफॉल्ट कर दिया गया है, जबकि पुरानी कर व्यवस्था को इस वित्त वर्ष से वैकल्पिक बनाया गया है।

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जिन करदाताओं को निवेश के जरिये करों में छूट चाहिए वह पुरानी कर प्रणाली को अपना सकते हैं। बता दें कि सरकार ने नई कर व्यवस्था में कर छूट में पांच लाख की सीमा को बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया है।

मिडिल क्लास के लिए है बजट 

बजट-2023 भारत के विशाल मध्यम वर्ग को समर्पित है। राजग सरकार के दूसरे कार्यकाल और 2024 के आगामी आम चुनाव से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट में युवाओं के लिए कई अवसर बनाने की कोशिश की है। विकास, नौकरी के सृजन और संपूर्ण अर्थव्यवस्था की स्थिरता पर पूरा जोर है।

सप्तऋषि पर है फोकस 

चार बिंदुओं को हासिल करने के लिए बजट में सात वरीयता क्षेत्रों को निर्धारित किया गया है। इन्हें सप्तऋषि कहा गया है, जिनमें समग्र विकास, सबका साथ सबका विकास, आखिरी सिरे तक बुनियादी ढांचा और निवेश पहुंचाना, क्षमता का दोहन, हरित विकास, युवा शक्ति और आखिरी व सबसे जरूरी वित्तीय क्षेत्र शामिल है।

निजी करदाताओं के लिए करों का तार्किक और आसान होना भी एक बड़ी राहत है। वित्त वर्ष 2024-25 में कर की दरें आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 115बीएसी के तहत तय की गई हैं। सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि सरकार मध्यम वर्ग के लिए इकोसिस्टम बनाने पर निरंतर काम कर रही है। मध्यम आय की विभिन्न श्रेणियों वाले इस व्यापक और विस्तृत वर्ग के लिए उनकी इच्छा के अनुसार अवसर बनाए जा रहे हैं। इसी के तहत मध्यम वर्ग के लिए नई कर व्यवस्था में बदलाव दिए गए हैं।

पुरानी कर व्यवस्था हो गई वैकल्पिक

नई कर प्रणाली अभी तक वैकल्पिक थी जिसे अब डिफॉल्ट कर दिया गया है, जबकि पुरानी कर व्यवस्था को इस वित्त वर्ष से वैकल्पिक बनाया गया है। जिन करदाताओं को निवेश के जरिये करों में छूट चाहिए, वह पुरानी कर प्रणाली को अपना सकते हैं। सरकार ने नई कर व्यवस्था में कर छूट में पांच लाख की सीमा को बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया है। सालाना सात लाख रुपये तक की आय वालों को कोई कर नहीं देना होगा। सरकार ने टैक्स स्लैब में भी कमी की है और टैक्स छूट की सीमा को तीन लाख रुपये तक बढ़ा दिया है।

स्टैंडर्ड डिडक्शन का फायदा

वेतनभोगियों के लिए 50 हजार का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी है। बजट में गैर सरकारी कर्मचारियों के रिटायरमेंट पर लीव इनकैशमेंट में छूट को तीन लाख रुपये से बढ़ाकर कर 25 लाख रुपये किया गया है। इसी तरह छोटे पेशेवरों के लिए 50 लाख तक की छूट की सीमा को प्रस्तावित वित्त बिल में संशोधन करके 75 लाख तक किया जा सकता है, जबकि छोटे कारोबारियों की छूट की सीमा को तीन करोड़ रुपये किया है।

सरचार्ज की बढ़ी लिमिट 

सरकार ने अधिक नेटवर्थ वाले लोगों के भारत छोड़कर जाने की समस्या का भी समाधान निकालने की कोशिश की है। इसके लिए आयकर में सरचार्ज की सबसे ऊंची दर 37 प्रतिशत को घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे अधिकतम निजी आयकर की दर 42.7 प्रतिशत से घटकर 39 प्रतिशत रह जाएगी। बजट में स्टार्टअप के शेयरहो¨ल्डग के नुकसान को सात साल के बजाय दस साल तक कैरी फारवर्ड किया जा सकेगा। 

नोट: लेखक कर विशेषज्ञ, सीए और लीगल एडवाइजर है और यह उनके अपने विचार हैं। 

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