आम बजट से उम्मीदें : आत्मनिर्भर होने को जरूरी है साढ़े चार करोड़ टन तिलहन, वर्ष 2022 तक तिलहनी फसलों को बढ़ाने पर होगा जोर
तिलहन खेती को लेकर आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग जरूरी है जिससे उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। देश में क्रूड पेट्रोलियम सोना और हीरा के बाद खाद्य तेलों
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। खाद्य तेलों से आयात निर्भरता घटाने के लिए घरेलू तिलहनी फसलों की खेती पर भरोसा करने की जरूरत है। आगामी बजट में इस दिशा में सरकार कुछ अहम कदम उठा सकती है। सरकार ने इसका संकेत इसी सप्ताह रिफाइंड पाम आयल के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर दे भी दिया है। वर्ष 2022 तक खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर होने के लिए कुल 4.5 करोड़ टन तिलहन उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए सरकार पूरा लगाकर किसानों को प्रोत्साहित करेगी। खाद्य तेलों की घरेलू खपत 2.50 करोड़ टन सालाना है, जिसके लिए 1.50 करोड़ टन तेल का आयात किया है। देश में तिलहन की खेती में लगातार कमी आने से आयात निर्भरता बढ़ती गई।
केंद्र की राजग सरकार ने इस दिशा में पहल करते हुए वर्ष 2022 तक खाद्य तेलों के मामले आत्मनिर्भर होने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए सबसे पहला कदम आयात को हतोत्साहित करने का फैसला किया गया। आगामी वित्त वर्ष 202-21 के आम बजट आने के ठीक पहले सरकार ने रिफाइंड पाम आयल के आयात को रोक दिया है। जबकि क्रूड पाम आयल के आयात पर भी 41.25 फीसद का शुल्क लगा दिया गया है। देश में फिलहाल 3.10 करोड़ टन तिलहनी फसलों का उत्पादन हो रहा है, जिसे बढ़ाकर 4.50 करोड़ टन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। खाद्य तेलों का आयात पर लगभग 70 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च होती है। खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर होने के लिए तिलहन की खेती पर विशेष जोर देने की जरूरत है। विशेषज्ञों के मुताबिक आम बजट में कुछ पुख्ता उपायों की घोषणा की जा सकती है।
भारत में जहां राइस ब्रान से 95000 टन खाद्य तेल तैयार होता है, वहीं चीन में यह दो लाख टन होता है इसे प्रोत्साहित करने पर कुछ घोषणाएं की जा सकती हैं। दूसरा खाद्य तेलों का आयात को रोकने की जरूरत पर जोर होगा। घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए आयात की कड़ी निगरानी होनी चाहिए। तिलहन बाजार में किसानों उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने की गारंटी होनी चाहिए, ताकि किसान तिलहन खेती के प्रति आकर्षित हों। तिलहन को लेकर बनाई गई नीतियों में सुधार की जरूरत है, जिससे इसके अनुसंधान और खेती में निवेश हो सके। तिलहन खेती को लेकर आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग जरूरी है, जिससे उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है। देश में क्रूड पेट्रोलियम, सोना और हीरा के बाद खाद्य तेलों के आयात पर सर्वाधिक विदेशी मुद्रा खर्च होती है। इसे रोकने और तिलहन की घरेलू खेती पर सरकार जोर देगी, जिसके लिए आम बजट में कुछ अहम प्रावधान किये जा सकते हैं।