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डेयरी उद्योग के लिए वरदान साबित होगी ब्रुसेला एस-19 वैक्सीन, भारतीय वेटनरी वैज्ञानिकों द्वारा है निर्मित

पशुओं में बैक्टीरिया से फैलने वाली वैश्विक महामारी के लिए भारतीय वेटनरी वैज्ञानिकों ने ब्रुसेला एस-19 वैक्सीन बनाने में सफलता प्राप्त कर ली है। डेयरी उद्योग को इससे होने वाले भारी नुकसान से राहत मिलेगी। वेटनरी साइंस के वैज्ञानिकों के मुताबिक इस वैक्सीन की वैश्विक स्तर पर जबर्दस्त मांग है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sat, 26 Sep 2020 09:47 AM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 07:37 PM (IST)
डेयरी उद्योग के लिए वरदान साबित होगी ब्रुसेला एस-19 वैक्सीन, भारतीय वेटनरी वैज्ञानिकों द्वारा है निर्मित
डेयरी उद्योग के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर PC : Pixabay

नई दिल्ली, सुरेंद्र प्रसाद सिंह। कोविड-19 की वैश्विक महामारी से बचाव के लिए दुनियाभर में वैक्सीन बनाने और उसके परीक्षण का दौर जारी है। इसी बीच पशुओं में बैक्टीरिया से फैलने वाली वैश्विक महामारी के लिए भारतीय वेटनरी वैज्ञानिकों ने 'ब्रुसेला एस-19 वैक्सीन' बनाने में सफलता प्राप्त कर ली है। डेयरी उद्योग को इससे होने वाले भारी नुकसान से राहत मिलेगी। वेटनरी साइंस के वैज्ञानिकों के मुताबिक इस वैक्सीन की वैश्विक स्तर पर जबर्दस्त मांग है। दुनियाभर के वैज्ञानिकों की नजर विकसित की जा रही इस वैक्सीन पर है।

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डेयरी उद्योग के लिए यह नई वैक्सीन एक वरदान साबित होगी। दुधारू पशुओं में बैक्टीरिया से होने वाले संक्रामक रोगों से बचाव के लिए यह वैक्सीन काफी कारगर होगी। इससे पशुओं में होने वाले 12 हजार करोड़ के सालाना नुकसान को रोकने में सफलता मिलने का अनुमान है। इसी तरह दुनियाभर में इस बैक्टीरियल महामारी से हर साल अरबों डॉलर का नुकसान होता है।

'ब्रुसेला एबोर्टस एस-19' वैक्सीन को बनाने में मिली सफलता का श्रेय आईसीएआर, आईवीआरआई और डिपार्टमेंट आफ बायो टेक्नोलॉजी की साझा परियोजना को जाता है। इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) के उप महानिदेशक (एनिमल साइंस) डॉक्टर बीएन त्रिपाठी के मुताबिक ब्रुसेलोसिस नामक एक रोग पशुओं में तेजी महामारी की तरह फैलता है। इससे पूरी दुनिया के पशु पालक हलकान हैं।

भारत में डेयरी उद्योग को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसके प्रकोप से दुधारू पशुओं में बांझपन और गर्भपात हो जाना सामान्य है। पशुओं की उत्पादकता घटने के साथ उसका विकास रुक जाता है। संक्रमित पशु धीरे धीरे कमजोर होकर खत्म हो जाता है। घरेलू स्तर पर पशुओं के बछड़े व बछिया को वैक्सीन दिया जाता है, जिससे उसक भीतर इम्युन सिस्टम को मजबूत करने में मदद मिलती है। यह बैक्टीरिया उसको नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा।

डॉक्टर त्रिपाठी ने नये वैक्सीन बी. एबोर्टस एस-19 स्ट्रेन के बारे में बताया कि इस वैक्सीन के लगाने से पशुओं पर जीवन पर्यत ब्रुसेलोसिस बैक्टीरिया का प्रभाव नहीं होगा। इस नई वैक्सीन में उन सारी खामियों को दूर कर दिया गया है जो इसके पहले वाली वैक्सीन में थीं। इसका विकास डिपार्टमेंट आफ बायो टेक्नोलॉजी की वित्तीय मदद से 'ब्रुसेलोसिस नेटवर्क प्रोग्राम' के तहत किया गया। नई वैक्सीन को विकसित करने में जीन टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है।

एनिमल साइंस के वैज्ञानिकों के मुताबिक नई वैक्सीन की मांग एशियाई, अफ्रीकी देशों के अलावा यूरोपीय संघ के साथ दक्षिण अमेरिकी देशों में भी है। विकसित वैक्सीन को सभी परीक्षणों के बाद उसे उत्पादन और मार्केटिंग के लिए सौंप दिया गया है। वेटनरी साइंस के वैज्ञानिकों ने अब तक दो दर्जन से अधिक वैक्सीन विकसित करने का रिकार्ड बनाया है। इन्हीं वैक्सीन की वजह से पशुओं में फैलने वाली तमाम तरह की महामारी के उन्मूलन में मदद मिली है।


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