इलेक्टोरल बॉण्ड को लॉन्च करने की तैयारी पूरी, चुनावी चंदे में अब आएगी पारदर्शिता
इलेक्टोरल बॉण्ड आने के बाद पार्टियों को मिलने वाले चंदे में भी पारदर्शिता देखने को मिलेगी
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। केंद्र सरकार ने आज संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इलेक्टोरल बॉण्ड (निर्वाचन बॉण्ड) जारी करने की शर्तों को अंतिम रूप दिया। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली आम बजट 2017-18 के भाषण में इलेक्टोरल बॉण्ड लाने की घोषणा की थी।
पिछले लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में 1% से अधिक वोट पाने वाले पंजीकृत राजनीतिक दल ही ले सकेंगे इलेक्टोरल बांड से फंडिंग। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2017-18 के भाषण में की थी इलेक्टोरल बांड लाने की घोषणा। @JagranNews
— Harikishan Sharma (@harikishan1) January 2, 2018
कहां से खरीद सकेंगे बॉण्ड: इन बॉण्ड के जारी होने के बाद एसबीआई की निर्धारित शाखाओं से एक हजार रुपए, दस हजार रुपए, एक लाख रुपए, दस लाख रुपए और एक करोड़ रुपए के खरीदें जा सकेंगे।
कौन से दल खरीद पाएंगे बॉण्ड: पिछले लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में 1 फीसद से अधिक वोट पाने वाले पंजीकृत राजनीतिक दल ही इलेक्टोरल बॉण्ड से फंडिंग ले सकेंगे।
चुनावी फंडिंग पारदर्शी बनाने के लिए सरकार आज जारी करेगी इलेक्टोरल बांड स्कीम की अधिसूचना। @TheOfficialSBI की निर्धारित शाखाओं से एक हजार रुपए, दस हजार रुपए, एक लाख रुपए, दस लाख रुपए और एक करोड़ रुपए के खरीदें जा सकेंगे बांड: @arunjaitley @JagranNews— Harikishan Sharma (@harikishan1) January 2, 2018
इस स्कीम की मुख्य बातें:
- इलेक्टोरल बॉण्ड एक तरह का वचन पत्र होगा और यह एक ब्याज रहित बैंकिंग इंस्ट्रूमेंट होगा।
- भारत का कोई भी नागरिक या फिर यहां की इकाई बॉण्ड खरीदने के योग्य होगी।
- इलेक्टोरल बॉण्ड किसी कीमत पर खरीदे या फिर जारी किए जाएंगे। इन्हें एसबीआई की विशेष शाखाओं से 1,000 एवं 10,000 एवं 1,00,000 एवं 10,00,000 एवं 1,00,00,000 के गुणांक में जारी किया जाएगा।
- कोई भी इलेक्टोरल बॉण्ड की खरीद तभी कर पाएगा जब वो केवाई के सभी मानकों को पूरा करेगा और इसकी खरीद के लिए भुगतान बैंक अकाउंट से करेगा। इसमें भुगतानकर्ता का नाम शामिल नहीं होगा। इलेक्टोरल बॉण्ड की वैलिडिटी सिर्फ 15 दिनों की होगी, इस अवधि के दौरान इसका इस्तेमाल किसी ऐसे राजनीतिक पार्टी को चंदा देने के लिए किया जा सकता है, जो कि रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुव एक्ट 1951 के सेक्शन 29 के अतर्गत रजिस्टर्ड हो, साथ ही उसने बीते लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कुल वोटों में से 1 फीसद से ज्यादा वोट हासिल किए हों।
- इस स्कीम के अंतर्गत मिलने वाले बॉण्ड खरीद के लिए जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर महीनों में से सिर्फ 10 दिनों (प्रत्येक महीने के लिए) के लिए ही बिक्री हेतु उपलब्ध होंगे। केद्र सरकार की ओर से ऐसा ही निर्दिष्ट किया गया है।
- इन बॉण्ड्स की रकम को राजनीतिक पार्टियां एक विशिष्ट बैंक अकाउंट और अधिकृत बैंकों से ही भुना सकेंगी।